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________________ तत्पुष्पर्क कामगर्म विमानम् VI. I2I.30a तत्पूर्वमैक्ष्वाकसुतो महात्मा II. 33.30a तत्पूर्व हर्षमागत: VI. 127.19d तत्पृथिव्यां गृहवरम् II. I7.10a तत्प्रतिश्रुतमार्यस्य II. 89.27c तत्प्रतिश्रुत्य धर्मेण II. II.21a , शासनम् I. 17.8b तत्प्रतीच्छ नराधिप VII. 76.33b तत्प्रबुद्धोऽधिगच्छति III. 73.33d तत्प्रयच्छ नृपश्रेष्ठः I. 14.49c तत्प्रयातं बलं घोरम् III. 23.1a तत्प्रयुक्तं पुनयुद्धम् VI. I07.44c तत्प्रविश्य हरिश्रेष्ठ V. 3.50a तत्प्रवृत्तं महाद्धम् VI. I07.64a तत्प्रसीदतु मे मुनिः II. 64.I9d तत्प्रसुप्तं विरुरुचे V. 9.35a तत्प्रहस्तप्रणीतेन VI. 31.21a तत्प्रापयन्तं वचनम् VI. 20.15c तत्फलं प्राप्स्यते चापि VII. 51.10a तत्त्वतः कथयस्व मे V. 66.14b ,, कथयस्वाद्य V. 50.IIa , शंसतस्तव III. 70.Igd , सर्वमेतन्नः V. 58.4c तत्त्वतस्त्वं करिष्यसि VI. I7.49b तत्त्वतो ज्ञातुमर्हथः VI. 25.7d , ब्रूहि शोभने VII. 9.18f , मे भवद्गुणाः IV. 5.9d ,, विनिवेशितः IV. 1.52b . हि नर श्रेष्ठ III. 66.15a तत्त्वदीयं सुरश्रेष्ठ I. 45.24a तत्त्वभूतं महाराज VI. 20.6c तत्त्वमाख्यातुमर्हसि III. I7.13d ,, V. 67.42d तत्त्वमाख्याहि पृच्छतः VI. I26.3d मा ते भूत् V. 50.8c तत्त्वमाख्याहि सुव्रत VI. 30.17d | तत्त्वमास्थाय विज्वरः VI. I09.19b तत्त्वमाह महोदधिः VI. 22.44d 22.48d तत्त्वमित्युपधार्यताम् IV. 7.2rd तत्त्वमेतद्ब्रवीमि ते VII. 26.2gd तत्त्वं मे ब्रूहि कैकेयि II. I0.39c तत्त्वमेवानुचिन्तय IV. 44.6d तत्त्वं प्रजानाहि मां न वाली IV. 24.36c तत्त्वं बुद्धिमतां श्रेष्ठः VI. 2.16a ,, ब्रूहि मनोज्ञाङ्गि III. 34.4a. ,, शंसितुमर्हसि VII. 90.2d तत्त्वया चरता लोकान् VI. 35.15a तत्त्वया प्रियवादिन्या II. I2.I7c तत्त्वया पुत्रगर्धिन्या , 37.32a . तत्त्वया हनुमन्वाच्यम् V. 39.IOC तत्त्वया हरिशार्दूल IV. 7.21c तत्त्वेतत्समतिकम्य II. 38.IIa तत्त्वेन परिपृच्छतः ,, 18.18b तत्त्वेन मुखवणेन VI. 125.15c तत्सखित्वं मया सौम्य VII. 13.29a तत्सत्यं न स्यजेद्राजा II. 18.24c तत्सत्यं नान्यथा वीर VI. 67.II3c तत्सत्यमनुपालये 34.50d तत्संदिश महाबाहो VI. 84.20a तत्संनिक्षिप्य भवने VII. 63.26a तत्समाकुलसंभ्रान्तम् II. 40.19a तत्समागमकाउक्षिणी V. 16.24d तत्समाधातुमर्हथ IV. 25.2d तत्समाश्वासयत्पुन: VI. 46.43d तत्समुत्थेन शोकेन IV. 27.32c तत्सरः समतिक्रम्य ,, 43.35c तत्सर्व करवाम वै I. 27.26b , कर्तुमुद्यतः ,, 3.7d. , कामधुग्दिव्ये I. 52.220 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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