SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चकर्माण्यभीतवत् VI. 58.18d किलकिलामन्ये V. 57.42a लवगपुंगवा: VI. 67.job चरन्ये पराक्रमम् VI. 60. 5od चकुरायोधनं महत् VII. 21.31b चक्रुरुच्चावचगुणा: VI. 90.93c चक्रुरेव कथा मिथः II. 6.16d चक्रुर्दीनाः प्रदक्षिणम् II. 40.xd चक्रुर्दीप्तमिवाम्बरम् VI. 71.77d चक्रुर्नैर्ऋतशार्दूलाः VI. 60.320 चहुविधाकारान् II. 80. 1Ic "3 " चक्रुर्बुद्धिं तदा रौद्राम् IV. 56.2c चक्रुर्भीमाम्बुवाहकाः IIĪ. 23.7d चक्रुर्वासं न चाध्वनि VII. 108.1d चक्रुर्वास परिग्रहम् I. 35.8b चक्रुर्वृष्टिमनूपमाम् VI. 69.48b चक्रुर्वेगं हरीश्वराः VI. 89.48d चकुर्वेगमनुत्तमम् VI. 55.31b चक्रुश्च परिवेषणम् VII. 91.28d विधिवत्सम् 14.4C चक्रुषुश्च पुनस्तत्र VI. 56.37c चक्रः सर्वाणि कर्माणि I. 60. roa ७ सर्वेष्वहःसु ते IV. 47.5d در 33 33 सुतुमुलं युद्धम् VI. 67.3c चक्रुस्ता राजभवने VII. 63.17a चक्रुस्ते रजनीचराः VI. 79.5d विपुलं स्वरम् VI. 60.37d शास्त्रतो दृष्ट्वा I. 14.7C सप्रभं व्योम VI. 75.500 सुमहद्भयम् VI. 86. IId चकुस्त्रिदशशत्रवः VI. 60.33d चक्रे गोदानमुत्तमम् I. 72.21d , 73.1b " " "" " د. 33 चक्रेऽग्निसाक्षिकं सख्यम् V. 58. 1400 चक्रे चिन्तां परंतपः II. 1. 35d Jain Education International २९० चक्रेण खे विष्णुरिवार्पितेन VI. 74.66d शितधारेण VII. 51.120 33 चक्रे त्रिनयनस्तदा I. 43.70 चक्रेऽथ पादं सव्यं च V. 4.3c चक्रे पुरवरं राजा I. 32.70 प्रच्छादयन्नभः VI. 80.25b चक्रेऽभिषेकं काकुत्स्थः III. 16.41c चक्रे युद्धे तदा मन: VII. 6.63b द्रुतं मनः VII. 6.63b " शकवशं पुनः I. 20.21d शोभयितुं पुरीम् II. 6. 1od " ور 39 "" स सुमहाकायः III. 44.21a सुतुमुलं युद्धम् VI. 100.39c चकोत्कृतं विभीषणम् VII. 7.43d चक्षुः प्राप्य तु संश्रयम् IV. 61. 12b चक्षुर्भ्यां त्वां न पश्यामि II. 64.61c चक्षुर्थ्यामपि पश्यति II. 72.48f चक्षुर्मनोहरं पीनम् VII. 26.16a चक्षुमर्म विबध्यते V. 20. 15d चक्षुर्विषयमागतः VI. 100.52b VI. 103.19b " " 33 चक्षुर्विषमागत्य VI. 100 520 चक्षु सव्यं कुरुते विकारम् III. 57.23b चक्षुश्चैव निरुध्यति VI. 89. 18b चक्षुषा त्वां न पश्यामि II. 64.650 धनुषात्मानम् VI. 59.49c चक्षुपाsनलकल्पेन III. 11.66c चक्षुषा निर्दहन्निव IV. 31.49d प्रदहन्निव V. 58. 145d VI. 114.25b ܕܙ 33 دو " चक्षुषी चैव प्राणाच IV. 62.20 परिमार्जती V. 38.2ob वा नरोत्तमात् II. 17.13b " " प्रपिवन्निव II. 45.5b रघुनन्दन I. 23.12b "" For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy