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________________ सीतायाश्चैव दुष्कृती IV. 49.3d सीतायात्रिजटायाश्च V. 30. IC सीतायास्तद्वचः श्रुत्वा V. 39.13 सीतायास्तु कृते तूर्णम् V. 51. ISC वचः श्रुत्वा V. 37.33a सीतायास्तेजसा दग्धाम् V. 51.36a सीताया हियमाणाया: III. 52.26c सीतायां तत्र राक्षसः VI. 32.34b राघवस्य तु VII. 51.22d .. हियमाणायाम् III. 52.370 सीतायाः पदमागतः VI. 24.3od पदमागतौ VI. 20.5b دو "" पदवीं प्राप्य VI. 12.24c परिमार्गणम् III. 75.9b V. 51.9b VI. 1.16b "" परिमार्गणे III. 72.15b 73.1b 25 IV. 4.28d 30.69b " सीतायाः प्रत्यनन्तरः III. 20.4b प्रमुखे चर III. 36.18d 40.18b " " " "" ار "" دو " " " در " ور در ور 23 " " " "" " 21 31 28 " ފ در " 33 fa: VI. 113.21d 27d शोकतप्तायाः V. 34.8c शोभितं पुरा VI. 21.5b साधु मन्यसे VI. 26.3d सुखमासनम् II. 55.xsd सीता युक्तां न वर्तते II. 116.7d 33 "" " प्रसवं शुभम् VII. 66.2d प्रसव शुभौ VII. 66. Ind "" लवगर्षभाः V. 59.3b शत्रुकर्षणः V. 1.1b शपथे तस्मिन् VII. 97.6c Jain Education International १२७० हृता तव III. 71.2gd 21 सीतायै क्षिप्रमेव तत् II. 39.16d तां दिशं प्रति V. 65.7d प्रत्यभाषत V. 58.7d प्रददौ राम: VI. 128.78a श्वशुरो ददौ II. 40.14d " सीता यैस्तु प्रधर्षिता V. 51.32d रक्षोगणेश्वरम् V. 58.66b सीताराघवयोश्चिरम् VII. 42.25d सीता रामस्य तद्वचः VI. 115.10b दुःखिता II. 29.1b " रामाय मैथिली II. 119.14b VI. 110.20b 33 " 39 "" " " " रौद्रस्य रक्षसः V. 21.1b सीतार्थमुपजल्पितम् V. 58. 133d सीतार्थे राघवार्थे वा VII. 51.270 सीता लक्ष्मीर्भवान्विष्णुः VI. 117.270 वचनमब्रवीत् III. 47.2d वचनमुत्तमम् V. 58.7od सीतावचनसंरब्धः II. 55.30c सीता वचः प्राह विषादपूर्वम् V. 67.44b वा जनकात्मजा V. 16.14b सीतावाप्तिमरेः पुरे I. 3.36d सीताविग्रहरूपिणा V. 51.35b सीताविजयमप्रत: V. 60. 17d सीता वितत्रास यथा वनान्ते V. 28. IC विपुलवक्षसम् II. 30.2b " सीता वियोगात्पुनरभ्युदीर्णम् III. 63.6c सीताविरहपारगः II. 59.28b सीताविरहितं पथि III. 59.4d सीतावृत्तान्तकोविदम् V. 65.6d सीताव्यवसितं महत् V. 58. 83d सीतारापथवीक्षार्थम् VII. 96.8c सीताशपथसंभ्रान्ताः VII. 97.10c सीता शशिनिभानना V. 34.13b , " 39 23 " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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