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________________ १२६६ सिंहशार्दूलचेष्टितौ VI. 58.47d सिंहशार्दूलजुष्टाश्च IV. 50.2a सिंहशार्दूलवाग्छैल: VI. 102.40a सिंहशार्दूलविक्रमान् V. 39.49b ___" , 68.26b सिंहशार्दूलसदृशः I. 17.25a सिंहशार्दूलसदृशौ VI. 58.47c सिंहशार्दूलसहितम् IV. 67.41a सिंहसंहननो युवा III. 31.10b ,, ,, VI. 30.28b सिंहसत्त्वगतिः श्रीमान् V. 22.24c सिंहस्कन्धं महाबाहुम् II. 99.27a सिंहस्कन्धो महाद्युतिः III. 56.4b , महाभुजः II. 87.2b सिंहस्कन्धौ महोत्साहौ IV. 3.14a सिंहस्येव महागज: VI. I0I.53d सिंहस्येवेतरो मृग: VI. 79.13d सिंहहीनां गुहामिव II. II4.28d सिंहः कुञ्जररुद्धो वा VII. 36.42c , क्रुद्ध इव श्वसन् VI. 93.1d ,, क्षुद्रमृगं यथा III. 28.13d ,, , , , 64.30d ,, क्षुद्रमृगानिव VI. 53.28d सिंहा इव चतुर्दष्ट्राः VI. 27.40c सिंहा गिरिगुहामिव VI. II.22d सिंहाधिष्ठितकन्दरम् V. 56.36d सिंहाध्युषितकन्दरम् VII. 31.15d सिंहा नानासरीसृपाः IV. 60.15b . सिंहानामिव गोवृषम् III. 45.4b सिंहानां नर्दतामित्र II. 103.33d , निनदा दुःखाः II. 28.7c , निनदो भीमः V. 56.45c सिंहाव्याघ्रान्मृगान्द्रिपान् II. 68.20b सिंहाभिपन्ना गजराजकन्या V. 28.Id सिंहार्दित इव द्विपः V. 36.37d ., , , , 39.51d सिंहार्दितानामिव कुञ्जराणाम् VII. 7.51a सिंहाविव बलोत्कटौ VII. 32.52d सिंहा व्याघ्राश्च सर्वतः IV. 42.34b सिंहासनगतं पुत्रम् IV. 27.IIC सिंहासनमनुत्तमम् VII. 97.17d सिंहासनं व्याघ्रतनुः II. 14.39a सिंहाः पक्षगमाः स्थिताः IV. 42.16b सिंहिका नाम राक्षसी V. I.I73d सिंहिकायाश्च निधनम् I. 3.28c सिंहिका मतिमान्कपिः V. I.I8ob सिंहेन गजयूथपम् II. 8.36b , द्विरदा यथा VII. 7.20b , पातितं सद्यः IV. 23.26e सिंहैरिव महद्वनम् V. 6.3b " , , , IId सिंहैरिव महाद्विपाः VI. 31.33d सिंहीमरवैर्वृतम् IV. 27.2b सिंहैात्रैर्वराहैश्च VII. 6.49a सिंहो गिरिगुहाशयः II. 16.26b " यथा मन्दरकन्दरस्थः II. 73.28d , . 5.4b सिंहोरस्कस्य भामिनी III. 37.19b सिंहोरस्कं कृशोदरम् VII. 46.31b सिंहो गिरिगुहामिव VII. 34.43d सीतया किं करिष्यसि III. 17.25d " " , V. 58.79d ,, ,, तवानया V. 22.40d , कृतसंवादः V. 42.13c , च कृते शब्दे V. 30.22a ,, जयेन वा VI. IOI.48b ,, ,, परंतपः III. 7.1b , , , V. 58.25d ,, प्रचोदितः III. 40.21b " " , 43.24b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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