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________________ १२०४ सरमा मृदुभाषिणी VI. 33.2d " , , 34.12b सरमा हादयामास VI. 34.IC सरमा नाम धर्मज्ञाम् VII. 12.25a , प्रियभाषिणीम् VI. 34.17b स रम्भो नाम यूथप: VI. 26.30d सरयूतीरमागतः II. 64.14b सरयूमन्वगां नदीम् II. 63.20d सरयूमवगाहते III. 16.30d सरयूवदिमां नदीम् II. 95.15d सरयूसलिलं रामः VII. II0.7c सरयूं कौशिकी तथा IV. 40.20d , पुण्यसलिलाम् VII. IIO.IC ,, प्रययावथ VII. 109.4d सरय्या दक्षिणे तटे I. 22.IId ,, रघुनन्दन I. 38.20d ,, वर्धते रयः IV. 28.56b सरवाश्चोत्तरे तीरे I. 8.12a " ", 150 , 12.4a I2.I2c ,,, 16a " , 14 Ic सरय्वास्तापस हतम् II. 63.36b सरय्वां प्रक्षिपन्नप्सु II. 36.19c ,, प्रक्षिपन्मौात् II. 36.22c ,, ससुखं त्रयः I. 22.23f सरय्वाः पुष्पिते वने II. 49.14b , संगमे शुभे I. 23.5d स रराज रथे तस्मिन् VI. 69.28a सरलं पद्मकं तथा II. 76.16b सरलान्कर्णिकारांश्च V. 2.9a सरश्च राजतैः पद्मः IV. 40.450 सरसीय महाधर्मे VI. 97.Ic सरस्तदा मानसं तु VII. 12.26a सरस्तदुपचक्रमे VII.17.8b सरस्वती च गलां च II. 71.5a , , सिन्धुं च IV. 40.2 IC सरहस्यः प्रदीयताम् I. 55.16d सरः प्रवृत्ता सरयूः I. 24.10a सरःसु च सरित्सु च IV. 42.471) , बुद्धाम्युजभूषणेषु IV. 30.41c सरः सुरुचिरप्रख्यम् VII. 88.8c , सुरुचिर प्रभम् VII. 81.14b सराक्षसगणां पुरीम् V. 59.7b , , ,, 60.5d स राक्षसगणमुख्यैः VI. 90.ua ,, राक्षसपरीवारम् VI. III.I5a ., राक्षसरथे पश्यन् III. 51.9a ,, राक्षसशतं हत्वा V. 43.19c राक्षसस्तत्र सहानुजस्तदा VII. 9.48a ,, राक्षसाना कदनम् VI. 82.8a , , तत्सैन्यम् VI. 86.19a ,, , निहतं महाबलम् V. 42.44a ,, ,, प्रवरः प्रतापवान् V. 47.22b ., राक्षसा साश्वरथा सनागा V. 54.39b ,, राक्षसांस्तान्सुबहूंश्च हत्वा V. 45.44a , राक्षसेन्द्रस्य ततो महारथः VI. I04.27c राक्षसेन्द्रः शुशुभे V. II.Iza , राक्षसेन्द्रो हरियूथमध्ये VI. 71.44a ,, राक्षसोऽभूम्रियमाण एव III. 57.22d ,, राक्षसो विष्णुभयादितस्तदा VII. 8.29b ,, रागः सत्वसंपन्नः II 78.2c ,, राघवस्तत्र तदा प्रलापान् II. 10.43a ,, सराघवस्यास्य सुरेन्द्र वर्चसः IV. 32.22d ,,राघवं समासाद्य VI 99.22a सराघवं सैन्य मितीन्द्रशत्रु: VI. 67.7Id स राघवः प्रज्वलितस्तया श्रिया II. 2545d " , प्रेक्ष्य सुमन्त्रमब्रवीत् II. 33.31c " , सत्यभृतिश्च लक्ष्मणः II. I04.32a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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