SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अथ तौ भ्रातरौ दीप्तम् III. 3. 15a अथ त्रिवेणुसंपन्नम् III. 51.16a अथ दत्वा स्वयं रक्षः VII. 12.3a अथ दाशरथिश्चित्रम् II. 94.2a अथ दाशरथी रामः VI. 67.16 अथ दीर्घस्य कालस्य IV. 9.17a VII. 59.10a 99.14a " 39 33 अथ दीर्घेण कालेन I. 38. Iga II. 62.20 अथ दृष्ट्वा दधिमुखम् V. 62.24a अथ दशग्रीव: VI. 62.7a दृष्ट्वा 39 अथ दृष्ट्वा पुरीं सीता VI. 123.23c अथ दृष्ट्वा सहस्राक्षम् I. 48.26a अथ देवा महादेवम् I. 45.21a अथ धन्वन्तरिर्नाम I. 45.32c अथ धौतोपलतलाम् VI. 4. 96a अथ ध्यात्वा मुहूर्तं च IV. 62.1c अथ नष्टे सहस्राक्ष VII. 86.4a अथ नात्र नरव्याघ्रौ II. 93.23a अथ नामाकरोत्तस्य VII. 9.33a अथ नावं सुविस्तीर्णाम् VII. 47.1a अथ निवदति सादिते निकुम्भे VI. 77.23a अथ पञ्चवटीं गच्छन् III. 14.1a अथ पद्मपलाशाक्षीम् II. 30.21a अथ पप्रच्छ नाम च III. 14.4d अथ पवनसमानविक्रमाः IV. 63.15a अथ पश्यामि दूरस्थम् III. 60.14a अथ पादाभिवन्दनम् II. 52.31b अथ पुत्रः पुलस्त्यस्य VII. 31a अथ पुष्करपर्णेन III. 73.rta पूर्व श्रुतार्थेन VII. rg.ria अथ प्रतिसमादिष्टः IV. 33.1a अथ प्रस्थाप्य स हरीन् IV. 42.1a Jain Education International १४ अथ प्रह्लादितो वाक्यैः II. 62.20a अथ प्रीतो महातेजाः VII. 3. 13d अथ बालार्कसदृश: IV. 14.4c अथ भूमिप्रदेशज्ञाः II. 80.1a अथ भ्रातरमव्यग्रम् II. 30. 12a अथ मङ्गलवादित्रै: V. 18.3a अथ मध्यमकक्षायाम् II. 16.27a अथ मन्त्रानपि जपन् VI. 99. 36 अथ मामब्रवीत्सीता V 58.1038 अथ मामेवमव्यग्राम् II. 30.1ga अथ मासे तु संपूर्ण VII. 8g.ga अथ मे कृषतः क्षेत्रम् I. 66.130 अथ मेघप्रतीकाशम् V. 6.18a अथ मेने हृतं राज्यम् IV. 54. IC अथ मे बुद्धिरुत्पन्ना V. 58.37a अथ मौर्वी स्वनं कृत्वा VII. 7.34a अथ यज्ञे समाप्ते तु I. 30.25a VII. 90.16c او अथ याः कोशलेन्द्रस्य II. 65. 12a अथ यात्रां सभीहन्तम् II. 78.1a अथ यानप्रवेकैस्तु II. 92. 36a अथ यास्यति वैदेही II. 37.25a अथ रक्षांसि भीमानि V. 37.53a अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामम् VI. 105. 31a अथ राक्षस सिंहस्य VI. 89.39a अथ राघवमब्रवीत् II. 56.27d अथ राजन्महाबाहुः VII. 17.1a अथ राजवितीर्णेषु II. 1. 50a अथ राजा दशरथः I. 18.370 33 73.6c II. 63.1c "" अथ राजा महाबाहो I. 61. 22d अथ राजा मुनिश्रेष्ठम् I. 50. roc अथ राजा विदेहानाम् I. 74.3a अथ राजा वृतः स्त्रीभिः II. 40.28a " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002794
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1961
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy