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________________ लोहितस्मृति हां, ३ या ५, ६ पुत्रों में सबसे ज्येष्ठ और सबसे कनिष्ठ को छोड़ किसी एक को लिया जा सकता है २४६-२६६ यदि मोह से ज्येष्ठ को दत्तक ले लिया गया तो मौजी विवाह विधि के बाद वह अपने सगे पिता का ही पुत्र होने का अधि. कारी है दूसरे का नहीं २६७ ऐसा दत्तक पुत्र लेने वाले के किसी काम का नहीं २७० कई स्त्रियों के एक पति से पुत्र हो तो ज्येष्ठ और कनिष्ठ को छोड़ अन्य लिए जा सकते हैं २७३ एकपत्रस्य स्वीकरणनिषेध: २७२७ एक पुत्र यदि बिना स्त्री वाले के हो और विधवा स्त्री उसे दत्तक ले उसका निषेध २७४-२८५ विधवास्वीकृतपुत्रदण्डम् २७२८ जो कोई सुता और दौहित्र को तिरस्कार कर अन्य को दत्तक ले ___ उस पर राजा विशेष विधान से दण्ड लागू करे २६०-२६६ दौहित्रप्रशंसा २७२६ दौहित्र की प्रशंसा २६७-३२३ एक तन्मातामह गोत्री, दूसरा दौहित्र और तीसरा निर्दोष विवाह में कन्या प्रदान के समय मातामह एवं पिता की प्रतिज्ञा के अनुसार होने वाले सम्बन्ध से उत्पन्न सन्तान क्रमशः तन्मातामह गोत्री और दौहित्र हैं तीसरा निर्दोष तातगोत्री है। दौहित्र की श्राद्धादि कर्म में श्रोत्रिय ब्राह्मण से ज्येष्ठता ३३६-३४८ प्रत्याब्दिकाकरणे प्रत्यवायः २७३४ प्रतिवर्ष के श्राद्ध न करने से प्रत्यवाय होता है, अत: जल, तण्डुल, उड़द, मंग, दो शाक, पत्र, दक्षिणा, पात्र और ब्राह्मण ये दश श्राद्ध में उपयोग करने की वस्तुएं हैं, एक का लोप भी वाञ्छनीय नहीं। यदि आपत्काल हो तो उसके लिए अनुकल्प का विधान है ३४६-३६३ श्राद्धद्रव्याभावेऽनकल्प: २७३५ घृत के दुर्लभ होने से तैल उसका प्रतिनिधि आज्य उसके अभाव __ में दूध और उसके न मिलने पर दही यदि ये भी न मिले तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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