SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०८ वेदव्यास स्मति २. कर्तव्यकर्म, शरीरशुद्धि, नित्यकर्म, पञ्चमहायज्ञ तथा भोजन आदि अनेक प्रकरणवर्णनम् : १६२६ नित्यकम का विधान, देव यज्ञ, पितृ यज्ञादि, पञ्च यज्ञ, जप करने की विधि तथा जपमाला कैसी और किस वस्तु की होनी चाहिए यह बताया गया है। तीर्थस्नान एवं अघमर्षण सूक्त का माहात्म्य । शिवपूजन मन्त्र, वैश्वदेव कर्म भूतबलि, अतिथि का पूजन, भोजन करने का नियम,काल, ग्रहण काल में भोजन करने का निषेध, शयन का नियम, कैसी शय्या होनी चाहिए तथा किस ओर सिर करना इत्यादि मानवाचार का विशदीकरण किया गया है १-९२ वेदव्यास स्मृति १. धर्माचरणदेशप्रयुक्त-वर्ण-षोडशसंस्कारवर्णनम् : १६३१ वण विभाग अनुलोम प्रतिलोमों की भिन्न-भिन्न जाति की संज्ञा उनके कर्म गर्भाधानादि संस्कार यज्ञोपवीत धारण काल जाति परत्व एवं ब्रह्मचारी के व्रत २. विवाहविधि, गृहस्थधर्म, स्त्रीधर्माभिधान आदि यदि स्नातक द्वितीयाश्रम (गृहस्थाश्रम) में जाना चाहे तो विधिवत् ___ सवर्ण कन्या के साथ विवाह करे अन्य से नहीं । पुरुष विवाह करने पर ही पूर्ण शरीरधारी होता है स्त्री के कर्तव्य का वर्णन आया है, यथा___ पत्यः पूर्व समुत्थाय देहदि विधाय च। उत्थाप्य शयनाद्यानि कृत्वा वेश्मविशोधनम् ॥ पति के जागने से प्रथम शयन से उठकर घर की शुद्धि, वस्त्रादिकों को यथास्थान में रखे १६-४१ १-१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy