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________________ (१७) (८) रस्तामें श्रावकोंने साधु साथे नहीं चालणा, मार्ग देखाय देणो. आगे पीछे रहे हुए सामान्य साधु साथ तो जाणा ही नहीं. (E) जो साधु मर्यादा चूके उस का आदरसन्मान, वंदणादि श्रावकोंने करणा नहीं, करेगा तो आज्ञा बाहिर हे, संघको ठबको पावेगा, संसार वधावेगा. साधु साध्वी की मर्यादा इस मुजब सो लिखते हैं(१) साधु साध्वीयोंने साथे मार्ग में विचरणो नहीं, कारण होय तो आचार्यने पूछने बृहव्यवहार मर्यादा प्रमाणे विचरे. (२) साध्वी होय जिण गाम में साधुने जाणा नहीं, कदि गया तो तीन दिन सिवाय रेणो नहीं. दोय माहिला एक दूसरे गाम चल्या जाणा. (३) साध्वीने एकली साधु उपासरे ऊभी बेठी रेवा देणी नहीं. (४) साध्वीरे उपासरे साधु जाय नहीं, कार्य होय तो बारे ऊभो खंखारो करे पछे द्वारे उभो रही दृष्टि दे, जो प्रवर्तिनी होय तो तिरकुंजणाय पछे जाय, पांच जणा विना उभो रहे नहीं. (६) साध्वी कने ओघा प्रमुखरो काम करावे तो सर्वसामग्री आप मिलाय देवे, साध्वी का लाया जल से वस्त्रादि धोवावे नहीं. (६) साध्वी लाया चार आहारमेलो एक भी आहार साधुने लेणो नहीं. (७) साध्वीयों में कोई भणवावाली होय तो साधु भणावे नहीं, प्रवर्तिनी तथा सार्वा भणावे ओर प्रवर्तिनी तथा दूजी साध्वी कने इतनो बोध न होय तो दृढचित्तवालो साधु साध्यां का राग विनागे होय तिण कने भणे. जो प्रवर्तिनी कहे भणावो तो चार जणी प्रवर्तिनी सहित बेठके भणावे. हास्यवार्तादिक करे नहीं, घणी वार बेसे नहीं. (८) साध्वी गोचरी लाई प्रवर्तिनीने देखावे, साधुने देखावारी जरूर नहीं. () वांदवा आवे जब सब जणी साथे आवे. तीन जणीसुं वारंवार साध्व्यों साधु कने आवे नहीं. (१०) साधु दोय जणा विना विचरे नहीं, साध्व्यां तीन जण्या विना विचरे नहीं. आचार्य हुकुम से न्यूनाधिक विचरे. (११) चोमासो आचार्यरा हुकुम विना रहे नहीं, जो दूर होय तो श्रावक कहे जद कहणा हुकुम होगा वहाँ विचरांगा ( रेवांगा ). (१२) श्राविकाने साधु भणावे नहीं, जो कोई श्राविका जाणपणो पूछती होय तो श्रावक श्राविका सहित पद देणो पण एकलीने उपासरा में ऊभी राखणी नहीं. आलोयण लेवे तो बहुलोक की दृष्टि में बेठके देणी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002772
Book TitleKalpasutrartha Prabodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1933
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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