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अमर से रिउ
तं सह भुजइ णिहि [णिव ] णिरुत्तु | अक्त्वंति जिणेसरु णाणणेत्तु ॥ २२ ॥
तहं दुज्जण पाउ,
धत्ता
पर-संताउ,
सुग्रणच्छिद्द जोवइ कुमई ।
अहो उ जोवइ, सुयण-वि गोवइ,
वज्झइ णरयहं दुहह
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गई ॥ ५५ ॥
[ ५-६ ]
वहु विजयं सावत्तिय मार्याह । खम्माविय णाणा सुह- वार्याह ॥ १ ॥ पुणु ते डाविय णिव कोड-वावार । जिण्डु मरणकाल मुक्किय कुमार ॥२॥ गुणुमणि पसंसिय देस-दिण्ण । दिय देव वत्थ सव्वह खण्ण ॥३॥ पुर-वाहिर दिण्णई धरणि सण्ण । णिय वण्णें भासिय जे विवरण ॥४॥ इत्थंतरि कुमरइ सुहि रमंत । धम्मत्थ- काम भुजंत संत ॥५॥ जिर्णाधिव अकित्तिम कित्तिमाई | वंदहि णह- गइ - पावलि-पसाई ॥ ६ ॥ णियसेण सहिय वण- करहि कील । जल-सरवर वायहि करहि कील ॥७॥ अण्णह दिण सोयर वे वि सुहि । यि घर- गवक्ख विट्ठई जुवेहिं ॥८॥ आवंत दिट्ठ हि मुणि जयलु । चरियहं णियह निमित्त रयणत्त घलु ॥९॥ अवयण्णइं पुर-सायार दीहि । परिगाहिय भोयणु दिष्णु तहिं ॥ १०॥ गय अक्खय- दाणु दइ गइय ते वि । सुर-र-णाइंदई णमहि ते वि ॥११॥ उत्तिण रहिय णिव उववर्णामि । तं वंदिय पुरयण थुइव - रयमि ॥१२॥ पुणु दिट्ठ कुमारह भउ सरेवि । पुव्वहं भवाई इणु समु णिएवि ॥ १३ ॥ विवहारिय घर सम्भावियाई । भुजाविय भोयणु अप्पु भाई ॥ १४ ॥ धणंकर- पुण्णंकर कम्मर | इव वंदहि मुणिवर असुहहर ॥१५॥ हम कहहि पुन्व भउ दिव्विझुणि । [ कम्म] णास जुत्तइ पयउ जणि ॥१६॥ तह गयइ सपरियण जुत्त भाय । वंदिय मुणि जुयलइ चच्चि पाय ॥१७॥
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