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अमरसेणचरिउ
[५-५]
वहुं गेहे अच्छहिं विण्णि भाय । णिय-पय सुहि पालहि साणुराय ॥१॥ णउ चोरु-जारु तिणि रज्ज-तेय । णं भउवइरिहिं सुद्दि वसहि लोय ॥२॥ पावलिय-जट्ठि तह [लइ] कुमार । खेयर सह वसि किय दुण्णिवार ॥३॥ सह वधि वि घल्लिय णिवह पाय । णिव-आण मण्णि णियपुर समाय ॥४॥ सह राय अ (ह) त्थु लिउ कुमर दंडि। जित्ते रणभूमिहि माणुखंडि ॥५॥ हुव सयल-वसुधर राय-राय । धम्मत्थ-काम संजुत्त भाय ॥६॥ जिणु-सुय-गुरु-पुज्जहिं तिण्णिकाल । तहं सुहिं जिणागमु मइ-विसाल॥७॥ पोसहि चउ संघह असण-दाण । सुहझाणे अच्छहि गुण-णिहाण ॥८॥ णिय पउमिणि रइ-सुह रमहि तत्थ । सुह रज्जु-करंतइ सुमइ-पंथ ॥९॥ आणाविय पिउ णिय जणणि भाय । महपुरयण चंड-समाणु आय ॥१०॥ वहु उच्छवेण लिय णिय गिहेण । देवंग-वत्थ पहिराय तेण ॥११॥ सुण्हाइं पय-लग्गिय हत्थ-जोरि । तूरहं सरु-वज्जइ मयण-भेरि ॥१२॥ थप्पिउ सिंहासणि णियय ताउ । वोलियइ णिरंतर विणइ वाउ ॥१३॥ वहु विणय-णविवि णिव तुह पसाय । हम रझु-लद्ध कंचणपुराय ॥१४॥ किय सयल-राय-वसि णिय वलेण । णिव-कण्ण-विवाहिय वहु विहेण ॥१५॥ तुम्हहं किउ भल्लउ हम सुहेहिं । जणिक्कासिय इवि णिय-गिर्हेहिं ॥१६॥ सावईय-गाय वयणई सुणेवि । हं मणहं मणोरहं पुज्ज वे वि ॥१७॥ किय-कम्म-सुहासुह णिरु वहिं । णउ अण्णु हाइ किय सुह-दुहेहिं ॥१८॥ णउ चल्लई मत्थई लिहिउ देव । णउ करि विसाउ ते वविहिय सेव ॥१९॥ एवहिं मण-इच्छिउ करहि रज्जु । हमि सेवहि तुव पय राय-सहु ॥२०॥ सुव-वयण-सुणि वि णिउ भणइ जुत्त। जं पुण्ण-सहायउ होइ मित्तु ॥२१॥
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