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अमरसेणचरिउ पणमिउं विज्जाहरु वार-वार । रुद्वउ विज्जाहरु भणइ-घार ॥१८॥ मइ वारिउ कि किउ एह कम्मु । णउ याणिउ जुत्ताजुत्त-मम्मु ॥१९॥ तो णिसुणि भणई भो गयणगामि । णउ एउ कम्मु ण करउ सामि ॥२०॥ खम करहु महुप्परि इव हि राय । तुव सरि मह सज्जणु णत्थि भाय ॥२१॥
घत्ता खं-गउ विज्जाहरु, भणई कुमर वहु,
कहि सामिय महु दया करि। एयई ते तर वर, विहि णिम्मिय घर,
कहि पहु महु इणि गुणु विवरि ॥४-८॥
[ ४-९] तो सुणि वि पयंपइ गयणगामि । मइ भूरुह वइयइ इत्थ थामि ॥१॥ एयंशल्लं लइ णरु सं [स] घइ । रासह होइ तत्तु खणि संपइ ॥२॥ वीयइ भूरुह सुधई फुल्लई । दोसइ णरु णिय रूव अमुल्लई ॥३॥ खर-मणुवह करणी एह विज्ज । अरि-दप्पु-दलणि णिय अत्थ कज्ज ॥४॥ तं णिसुणि वयणु णिवपुत्तु वुत्तु । भो भो सामिय हउ रहउ इत्त ॥५॥ पहुचावहु महु घर वेइ तत्तु । तुव पुण्ण-सहाए णियउ गोत्तु ॥६॥ सुणि वच्छ पंच दिणच्छु इत्थ । हउं आवउ णिय गिह फिरि निरुत्त ॥७॥ गउ अक्खि वि खेयरु अप्प गेहि । झाहि दिण पंच वि रहइ सुहि ॥८॥ तहं कुमरहं चितिउ णिय मणेण । ए वे तरु फुल्लइ लिउ सुहेण ॥९॥ जं जित्तउ लंजिय इणि हि तेय । विग्गोवउ दासिय-विविह भेय ॥१०॥ जोयंति सुरासुर-खयर-लोय । पुणु भाय-मिलइ महु विहि-सजोय ॥११॥ पावलिय-जुयलु णिय चयफलु । करिच्छलु-बलु-मित्तीभाउ णिलु ॥१२॥ लिउ रासहि करि चडि उवरि तहिं । ले सउणिव-पुरयण तत्थ जहि ॥१६॥ दउरावमि पुरसह मज्झि तहि । जं जिप्पउ णिव-दलु भुव वलेहिं ॥१४॥ पुडु पयडु गरिदहं होउ तहिं । मिलि एव महायण लेय जहिं ॥१५॥
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