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________________ २३८ बावला हाथी का चित्रण : हिन्दी के महावीर प्रबन्ध काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन एक दिवस की बात कुंवर तरू तले शिला पर थे आसीन । नील गगन में नेत्र टिके थे, मानों ऋषि समाधि में लीन ॥ १ *** २. ३. ४. चीत्कार पुरजन का सुनकर वर्धमान उठ भागे नन्दी चौके, अस्त-व्यस्त से ज्यों सपने से जागे । २ *** भगवान महावीर की करुणा कविने उत्प्रेक्षा और अतिशयोक्ति अलंकार द्वारा चित्रित की है आँखो से करुणा थी झरती बरसाती नदियाँ को भरती मरूधर में मान सरोवर-सी पल-पल में ठण्डक थी भरती भगवान महावीर की रुप वर्णन छटा : ज्योति थी मुख की दिव्य ललामचन्द्र पर धिर आये घनश्याम * *** श्याम पलकों में अंजन देख लगा खींची हो कारी रेख- ५ *** 'भगवान महावीर " : कवि शर्माजी, "जन्मधाम', सर्ग - २, पृ. १९ 'श्रमण भगवान महावीर” : कवि योधेयजी, “किशोर अवस्था", सोपान - १, पृ. ८५ वही, "महावीर का अभिग्रह", -सोपान - ७, पृ. २६० "तीर्थंकर महावीर” : कवि गुप्तजी, सर्ग-४, पृ. १५६ वही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002766
Book TitleMahavira Prabandh Kavyo ka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyagunashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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