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________________ ॥ चतुर्थो विमर्शः॥ १४ “गमन करतां चंछ सन्मुख होय तो ऽव्यनो लाल थाय, जमणी वाजु होय तो सर्व संपत्ति मळे, पापळ होय तो मृत्यु करे अने माबी बाजुए रह्यो होय तो धननो क्य करे." हवे रविचार कहे .रविष्ठौँ छौ तु पूर्वादौ यामौ रात्र्यन्त्ययामतः। यात्रास्मिन् दक्षिणे वामे प्रवेशः पृष्ठगे घ्यम् ॥ १६ ॥ अर्थ-सूर्य रात्रिना बेला पहोरथी श्रारंजीने बबे पहोर पूर्वादिक चार दिशामां चाले , तेमां प्रयाणसमये सूर्य जमणी बाजुए होय तो शुल, माबी बाजुए होय तो प्रवेशमां शुज , अने पाबळ होय तो प्रयाण तथा प्रवेश बन्नेमां शुल बे. . __ रात्रिनो बेझो प्रहर तथा दिवसनो पहेलो प्रहर ए वे प्रहर सुधी सूर्य पूर्व दिशामां चाले बे. दिवसना मध्यना बे पहोर सुधी दक्षिण दिशामां रहे , दिवसनो बेबो प्रहर श्रने रातनो पहेलो पहोर ए बे पहोर सुधी पश्चिममां चाले , तथा रात्रिना मध्यना बे पहोर सुधी उत्तर दिशामा रहे . ____ नारचंजमां तो सर्व ग्रहोने उदयसमयथी आरंजीने भ्रमण करवाना वशथी (गतिने बानीने ) आठे दिशानो स्पर्श कहेलो . ते आ प्रमाणे. __ "स्वस्योदयस्य समयात्पूर्वयामा(म्या)दितः क्रमात् । संचरन्ति ग्रहाः सर्वे सर्वकालं दिगष्टके ॥१॥" "सर्वे ग्रहो पोतपोताना उदयसमयथी आरंजीने पूर्व, दक्षिण विगेरेना क्रमे करीने सर्वदा आने दिशाओमां गति करे ." ___ सूर्य जमणी बाजुए रह्यो होय तो ते समयनुं प्रयाण शुनकारक ने. ते विपे खास कहे जे के "न तस्याङ्गारको विष्टिर्न शनैश्चर लयम् । व्यतिपातो न पुष्येच्च यस्यार्को दक्षिणस्थितः॥१॥" "जेना प्रयाणमां सूर्य जमणी बाजुए रह्यो होय तेने अंगारक नम्तो नथी, विष्टिनो पण दोष लागतो नथी, शनिथी उत्पन्न श्रयेलो जय लागतो नथी, तथा व्यतिपात पण ऽषित करतो नथी." तेथी करीने ज नक्षत्रसमुच्चयमां पण कर्वा डे के"पूर्वाह्ने चोत्तरां ग त्याच्यां मध्यंदिने तथा। दक्षिणामपराहे तु पश्चिमामर्धरात्रके ॥ १॥" "दिवसना पहेला नागमां उत्तर दिशा तरफ प्रयाण करवं, मध्याह्नसमये पूर्व दिशामां प्रयाण करवू, सायंकाळे दक्षिणमां प्रयाण करवू, अने अर्धी रात्रिए पश्चिममा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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