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________________ ॥ तृतीयो विमर्शः॥ १३५ मूळ श्लोकमां जे विवादश एटले बीजुं वारमुं कर्तुं ते स्वन्नावथी ज दारियकारक बे, तोपण ते दंपती विगेरेना राशिना स्वामीठनी जो परस्पर मैत्री होय अथवा उपलक्षणथी राशिना स्वामी एक ज होय, त्यारे विधादशक अत्यंत शुल जाणं. जो बेमांथी एक स्वामी मध्यस्थ (उदासीन ) होय अने बीजो मैत्रीवाळो होय तोपण विषादशक शुक्ल ज जाणवू. अवशिष्ट एटले के जो राशिऊंना स्वामीउने परस्पर वैर होय अथवा एकनुं मध्यस्थपणुं अने बीजानुं वैरपणुं होय, अथवा बन्नेनुं मध्यस्थपणुं होप तो ते विधादशक अशुल जाणवू. ते विषे सारंग कहे जे के “प्रीतिरायुर्मियो मैत्र्यां सुखं स्यात्सममित्रयोः। योः समत्वे न स्नेहो न सुखं समवैरिणोः॥१॥" “राशिना बन्ने स्वामीने परस्पर मैत्री होय तो प्रीति तथा आयुष्य घj होय, एक मध्यस्थ बने एक मित्र होय तो सुख थाय, बन्ने मध्यस्थ होय तो प्रीति न होय, तथा एक सम अने एक वेरी होय तो सुख न होय.” विधादश ( बीजुं बारमुं)नी स्थापना. (१) श्रेष्ठ विधादशक| |शुन्न विवादशक. | अशुन विघादशक १३ | मीन कन्या सिंह वृश्चिक मिथुन मकर धनु सिंह कर्क मीन कुंज तुला कन्या वृप धनु वृश्चिक (४) कुंज मकर अशुजतर विधादशक ५ ५ । १२ 9 तुला वृष मेष १ मिथुन श्रामांना पहेला यंत्रमा प्रश्रमनां पांच विकादशकमां ग्रहोने परस्पर मैत्री बे, अने बघामा बन्नेनो स्वामी एक ज. बीजा यंत्रमा एक राशिनो स्वामी मध्यस्थ डे अने बीजानो स्वामी मित्र ने, तेथी करीने आ बन्ने यंत्रो प्रीतिकारक . त्रीजा यंत्रमा चारेना स्वामी परस्पर मध्यस्थ बे. चोथा यंत्रमा एक मध्यस्थ ने अने वीजो वैरी ने अथवा "चंड अने बुधने परस्पर वैर " ए मत लइए तो बन्ने वैरी . तेथी करीने या बन्ने यंत्रोनां पांचे बीया बारमा शत्रु . त्रिविक्रम पण कहे बे के-"सिंह राशि सिवाय वीजी सर्व विषम राशिथी बीजी राशि आवे एवां बीया बारमा अशुल , अने सम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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