SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १ ॥वितीयो विमर्शः॥ यतिवनमां पण कडं ले के"अज्ञात्वा वेधविधि ग्रहगोचरपाकजातगुणदोषम् । ये निर्दिशन्ति मूढास्तेषां विफलाः सदादेशाः ॥ १॥" "जे मूढ पुरुषो वेधना विधिने जाण्या विना ग्रहग चरना पाकथी उत्पन्न थयेला गुण दोषने कहे , तेमना श्रादेशो सदा निष्फळ बे." वाम (माबो) श्रने अवाम (जमणो) ए बे प्रकारनो वेध जन्मनी राशिथी ज गणवो. हवे वेधनो प्रकार कहे जे. वेधस्त्रिषगगनलाजगतस्य ३-६-१०-११ नानोः, खेटैः क्रमेण नवमान्त्यसुखात्मजस्थैः ए-१२-४-५। इन्दोस्तनौ त्रिरिपुमन्मथखायगस्य १-३-६-१-१०-११, धीधर्मरिष्यधनबन्धुमृतौ ५-ए-१२-२-४-७ स्थितैश्च ॥४१॥ स्यान्मंगलस्य सहजहिषदायगस्य ३-६-२१, सौरेस्तथा व्ययतपःसुखगैश्च १५-५-४ वेधः। चान्ः स्वबन्धुरिपुमृत्युखलाजगस्य २-४-६-७-१०-११, पुत्रत्रिधर्मतनुनिर्व्यथनांत्यगैश्च ५-३-५-१-७-११ ॥४२॥ वाचस्पतेः खतनयास्तनवायगस्य ५-५-७-ए-११, वेधस्तथान्त्यसुखविक्रमखाष्टगैश्च १२-४-३-१०-७ । शुक्रस्यषखमदनान्यजुषो १-२-३-४-५---११-१२ टसप्ता थाकाशधर्मतनयायतृतीयषष्ठैः--१-१०-ए-५-११-३-६॥४३॥ अर्थ-त्रीजे, बसे, दशमे श्रने अगीयारमे स्थाने रहेखा सूर्यनो अनुक्रमे नवमा, बारमा, चोया अने पांचमा स्थाने रहेला अन्य ग्रहोवमे वेध श्राय जे. पहले, त्रीजे, बछे, सातमे, दशमे अने अगीयारमे स्थाने रहेला चंजनो अनुक्रमे पांचमे, नवमे, बारमे, बीजे, चोथे अने बाउमे रहेला ग्रहोवमे वेध श्राय जे. बीजे, ब श्रने अगीयारमे स्थाने रहेला मंगळनो तथा शनिनो अनुक्रमे बारमे, नवमे अने चोथे स्थाने रहेखा ग्रहोवमे वेध थाय . बीजे, चोथे, बचे, आपमे, दशमे अने अगीयारमे स्थाने रहेखा बुधनो अनुक्रमे पांचमे, त्रीजे, नवमे, पहेले, आपमे अने बारमे स्थाने रहेखा ग्रहोवमे वेध आय . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002765
Book TitleArambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages524
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy