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________________ ऐसे जातक वर्तमान में ही जीते हैं, कल की चिंता से सर्वथा मुक्त । उनका जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहता है । वे हर कार्य निष्ठा से संपन्न करना चाहते हैं, पर अधैर्य उन्हें कोई भी कार्य पूरा नहीं करने देता । उनकी ऊर्जा बंट-सी जाती है। वे एक को साधने की बजाय सबको साधने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसे जातकों को यह उक्ति याद रखनी चाहिए कि T एक ही साधे सब सधे, सब साधे सब जाय ! यदि वे अधैर्य त्याग कर संयमित होकर कार्य करें तो जीवन में यशस्वी भी हो सकते हैं। युवावस्था उनके लिए सतत् संघर्ष लेकर आती है। आर्थिक समस्याओं के अतिरिक्त स्वास्थ्य की गड़बड़ी भी उन्हें परेशान किये रहती है । अड़तीस वर्ष की अवस्था के बाद ही जीवन में स्थिरता आती है । ऐसे जातक माता के प्रति विशेष आसक्त होते हैं। मातृपक्ष से ही उन्हें लाभ भी होता है। पिता की ओर से उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं होता । ऐसे जातकों में यह भी देखा गया है कि जरूरत पड़ने पर वे तमाम रीति-रिवाजों और मान्यताओं को तिलांजलि भी देते हैं। ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन भी विशेष सुखद नहीं बताया गया है। रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक रक्त संबंधी विकारों के शिकार हो सकते हैं- यथा रक्त का मधुमेह आदि । रोहिणी नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं भी सुंदर एवं आकर्षक व्यक्तित्व वाली होती हैं। वे सद्-व्यवहार वाली होती हैं तथापि प्रदर्शन - प्रिय भी, रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातकों की तरह वे भी तुनुक - मिजाजी के कारण दुःख उठाती हैं। वे व्यवहारिक होती हैं, अतः वे थोड़े से प्रयत्न से अपनी इस आदत पर काबू पा सकती हैं। ऐसी जातिकाएं प्रत्येक कार्य को भली भांति करने में सक्षम होती हैं । फलतः उनका पारिवारिक जीवन भी सुखी होता है। लेकिन पूर्ण वैवाहिक एवं पारिवारिक सुख प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने ही स्वभाव पर अंकुश लगाने की सलाह दी जाती है । ऐसी जातिकाओं का स्वास्थ्य प्रायः ठीक ही रहता है। रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी मंगल, द्वितीय चरण का शुक्र, तृतीय चरण का बुध एवं चतुर्थ चरण का स्वयं चंद्र होता है । रोहिणी नक्षत्र में सूर्य की स्थिति के फल प्रथम चरणः यहाँ सूर्य जातक के बुद्धिमान, व्यवहार कुशल और ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1 ) नक्षत्र-विचार 81 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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