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________________ शनि की दृष्टि उसका स्वभाव कुछ क्रूर बना देती है। जातक को परिवार का भी सुख नहीं मिलता। अश्विनी नक्षत्र स्थित शुक्र के फल ___ अश्विनी नक्षत्र में स्थित शुक्र के फलस्वरूप जातक हष्ट-पुष्ट, भाग्यवान होता है तथा उसमें कला, अभिनय के क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त करने के साथ उच्च कोटि के चिकित्सक या मैकेनिकल इंजीनियर बनने की भी क्षमता होती है। प्रथम चरण: इस चरण में शुक्र हो तो जातक सदैव प्रसन्न रहने वाला तथा हष्ट-पुष्ट होता है। उसमें एक अच्छा मैकेनिकल इंजीनियर बनने की भी क्षमता होती है। कुछ कारणों से प्रथम चरण में स्थित शुक्र को अल्पायु का द्योतक भी कहा गया है तथापि अन्य शुभ ग्रहों के कारण उसके दीर्घायु के योग भी बताये गये हैं। द्वितीय चरण: जातक हस्ट-पुष्ट, मिलनसार एवं परिवार के दायित्वों ो निभाने वाला होता है। उसमें लेखन-प्रतिभा होती है। भाग्य भी उसका थ देता है। तृतीय चरणः इस चरण में शुक्र हो तो जातक में एक श्रेष्ठ चिकित्सक बने की क्षमता होती है। वह बौद्धिक प्रवृत्ति का, मिलनसार तथा सर्वप्रिय ता है। चतुर्थ चरण: इस चरण में शुक्र जातक को कला के क्षेत्र में ले जाता है वह एक अच्छा अभिनेता या संगीतज्ञ भी बन सकता है। अपनी स्थित चक्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि । सूर्य की दृष्टि के कारण जातक शासन पक्ष से लाभान्वित होता है। उसा पारिवारिक जीवन, पत्नी से अनबन के कारण सुखी नहीं रहता। विशेकर यदि शुक्र अश्विनी के चतुर्थ चरण अर्थात् 10.00 से 13.20 अंश के म्ा हो तो यह स्थिति और बनती है। द्र की दृष्टि हो तो जातक उच्च पद पर होता है तथापि स्त्रियों की गलतसंगति के कारण उसे अपयश का भागी बनना पड़ सकता है। मल की दृष्टि अशुभ फल देती है यथा वैवाहिक जीवन में अनबन, परिवासे भी सहायता नहीं तथा धन का भी अभाव। बु' की दृष्टि उसमें दूसरों की वस्तु हड़पने की प्रवृत्ति पैदा करती है। गु' की दृष्टि शुभ होती है। जातक को परिवार का, संतान का पूर्ण ज्योतिष सुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 60 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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