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________________ ही आधार होता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, जातक का उसी ग्रह की दशा में जन्म मान लिया जाता है। जातक अपने जन्म नक्षत्र के कारण किस ग्रह की पूर्ण दशा का कितना अंश भोग चुका है या उसे उस ग्रह की पूरी दशा का भोग करना है, यह सब नक्षत्र के चरण-विभाजन के फलस्वरूप ज्ञात हो जाता है। कृपया राशियों के बारे में भी संक्षिप्त में बताएं ?. हमने देखा कि तारों को मिलाकर राशियों की कल्पना की गयी है और प्रत्येक राशि में सवा दो नक्षत्रों की स्थिति मानी गयी है। राशि तीस अंशों की होती है और नक्षत्र 13 अंश 20 कलांश के तथा . उनका प्रत्येक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। सूर्य की पृथ्वी द्वारा परिक्रमा का पथ अंडाकार है। इस परिक्रमा पथ की पृष्ठभूमि में जो तारे सतत् नजर आते हैं, उनका ही सुविधा के लिए किसी आकृति विशेष में समायोजन कर विभाजन किया गया है। पृथ्वी का यह राशिपथ अंग्रेजी में 'जोडियक' कहलाता है। हिंदी में 'जोडियक' को ही राशिपथ कहते हैं। क्रांतिवृत के विषय में हमने पहले भी बताया है। सुविधा के लिए एक बार पुनः । इस अंडाकार परिक्रमा पथ या वृत्त को 360 अंशों में बांटा गया है। फिर इन 360 अंशों को बारह से विभाजित किया है। 360 में बारह से भाग देने पर एक संख्या में तीस अंश आते हैं। इन तीस अंशों में आने वाले तारों के समूह को एक राशि मान लिया गया है। सुविधा के लिए इन राशियों को भी एक नाम दे दिया गया है। इन नामों में हम सब परिचित हैं। हमारे यहाँ बारह राशियां हैं मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन। ____ अंग्रेजी में या पाश्चात्य खगोलशास्त्र और ज्योतिष शास्त्र में इनके ही नाम हैं--क्रमशः एरियस (मेष), टॉरस (वृष), जेमिनी (मिथुन), कैंसर (कर्क), लियो (सिंह), वर्गो (कन्या), लिब्रा (तुला), स्कोरपियो (वृश्चिक), सैगीटेरियस (धनु), कैप्रीकॉर्न (मकर), एक्वारियस (कुंभ), पाइसीज (मीन)। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक राशि को सात ग्रहों में से किसी न किसी के आधीन माना गया है। इसका परिचय आगे प्रसंगानुसार। यहाँ हम यह जानेंगे कि प्रत्येक राशि में कौन-कौन से नक्षत्र या उनके चरण आते हैं। सुविधा के लिए हम राशि के स्वामी ग्रह तथा इन राशियों ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 20 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002762
Book TitleJyotish Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurga Prasad Shukla
PublisherMegh Prakashan Delhi
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size9 MB
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