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________________ .. विशेषेण व्यपदेशो निर्हेतुक एव स्यादिति नैकमूर्तिरिति भावः। पद्यानुवाद - अन्य मत महीं ब्रह्मा को प्रजापतिसूनु माने है , मानी मैया उनकी जो पद्मावती ही नामे है। जन्म नक्षत्र उनका भी अभिजित् नामका कहा है , इन तीनों की एक मूत्ति कैसे ही हो सकती है ॥ २३ ॥ शब्दार्थ - . ब्रह्मा ब्रह्मा नाम के देव । प्रजापतिपुत्रः प्रजापति द्विज के पुत्र हैं। तथा, माता ब्रह्मा की मैया-माता । पद्मावती पद्मावती नाम की । स्मृता=कही गयी हैं । एवं, जन्मनक्षत्र ब्रह्मा के जन्म समय का नक्षत्र । अभिजित = अभिजित् नाम का है। इसलिये इन तीनों की एकमूत्तिः कथं भवेत् ? = एकत्ति कैसे हो सकती है ? अर्थात् नहीं हो सकती। श्लोकार्थ - - ब्रह्मा प्रजापति के पुत्र हैं और उनकी मैया-माता पद्मावती के नाम से कही गयी हैं, तथा उनका जन्म नक्षत्र भी अभिजित् है। इसलिये इन तीनों की एक मूत्ति कैसे हो सके ? अर्थात् न हो सके। श्रीमहादेवस्तोत्रम्-६९ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002760
Book TitleMahadev Stotram
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorSushilmuni
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram Sirohi
Publication Year1985
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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