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________________ १६० वीर निर्वाण संवत् और जैन काल-गणना अक्तूबर और नवंबर के बीच में वीरनिर्वाण का समय आता है । महावीर निर्वाण के पहले १४ वर्ष और ५ मास पर बुद्ध का परिनिर्वाण हुआ यह बात हम पहले लिख आए हैं, इस सिद्धांतानुसार बुद्ध का निर्वाण ई० स० पूर्व ५४२ (वर्तमान) वर्ष के मई मास में आएगा । सीलोन आदि के बौद्ध ई० स० पूर्व ५४४ - ३ में निर्वाण मानते हैं । इस मान्यता और हमारी जैन और बौद्ध गणना के बीच एक वर्ष का अंतर है जो कि विशेष महत्त्व नहीं रखता । यदि हम यह मान लें कि वैशाख महीने में बुद्ध ने महावीर के मरण की खबर सुनी और बाद में आगामी कार्तिक की सुदी ८ अथवा सुदी १५ को वे देहमुक्त हुए ११४ तो बुद्ध महावीर के निर्वाण का अंतर करीब १५ वर्ष का आयगा और इस प्रकार बुद्ध का निर्वाण - समय ई० स० पूर्व ५४३ में आयगा जो सीलोन आदि की परंपरा से प्रायः मिल जाता है । फैला हुआ है वह दूर हो जाय । ११४. पहले कहा गया है कि बुद्ध की निर्वाण - तिथि के संबंध में बौद्धसंप्रदायों में अनेक मत थे जिनमें सर्वास्तिवादी बौद्ध संप्रदाय बुद्ध का निर्वाण कार्तिकी पूर्णिमा के दिन मानता था । संभव है, सीलोन, ब्रह्मा आदि देशों में जो ई० स० पूर्व ५४४ - ४३ वर्ष पर बुद्ध निर्वाण होने की मान्यता है वह इसी सर्वास्तिवादी संप्रदाय की निर्वाणतिथिविषयक मान्यता को प्रमाण मानकर प्रचलित हुई होगी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002752
Book TitleVir Nirvan Samvat aur Jain Kal Ganana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2000
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size8 MB
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