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________________ साधना की भूमिकाएं - ७९ का प्रयल नहीं करता । उसे लगता है ये सचाइयां केवल आध्यात्मिक सचाइयां हैं । यदि ये सचाइयां सामाजिक व्यक्ति में आ जाएं तो समाज का चित्र नया हो जाता है । उसका ऐसा रूप बन जाता है, जैसा कभी नहीं बना था । आध्यात्मिक भूमिका पर जिस समाज की संरचना होगी और इन सचाइयों के आधार पर जिस समाज का ढांचा खड़ा होगा वह समाज सचमुच ही एक क्रांतिकारी, व्यवस्थित, शांतिप्रिय और मैत्री-प्रधान होगा । अंतर्दृष्टि का जागरण : सूत्र-निर्देश ___एक प्रश्न होता है-हम कैसे जानें कि अंतर्दृष्टि का जागरण हो गया है ? उसके लक्षण क्या हैं ? अंतर्दृष्टि का पहला लक्षण है-सम्यग् दर्शन । जिसकी अंतर्दृष्टि जागृत हो गई, उसका दर्शन सम्यग् हो जाता है । उसका मिथ्या दर्शन समाप्त हो जाता है । सम्यग् दर्शन के प्राप्त होते ही सारी धारणाएं बदल जाती हैं । जब तक मूढ़ता थी तब तक सुख को दुःख और दुःख को सुख मान रखा था । सम्यग् दर्शन होते ही यह भ्रांति मिट जाती है । सुख और दुःख की परिभाषा बदल जाती है । अब वह पदार्थ से होने वाले सुख को सुख नहीं मानता । उसमें उसे दुःख का प्रतिबिंब दीख पड़ता है । वह वास्तव में ही दुःख होता है, सुख नहीं । यदि सुख होता तो जितनी बार उस पदार्थ का उपभोग होता तो वह सुख ही देता, दुःख नहीं । संगीत सुनना सुखदायी माना जाता है | व्यक्ति ज्वर-ग्रस्त है । उसके सामने कितना ही मधुर संगीत क्यों न आए, उससे उसको सुख नहीं होगा, अपितु उसके लिए वह कष्टप्रद ही होगा। सम्यग् दर्शन के पश्चात् वह व्यक्ति सुख की गहराई में जाकर यह समझ पाता है कि सुख वह है जहां दुःख का संस्कार समाप्त हो जाए । सुख वह है जो दुःख का अनुबंध समाप्त कर दे । दुःख देने वाला संस्कार जहां निर्जीर्ण हो गया, समाप्त हो गया, वही सुख है। ____लोग मानते हैं कि प्रिय व्यक्ति की स्मृति करना सुख है । प्रिय व्यक्ति चला गया, उसकी स्मृति सताने लग जाती है । वही प्रिय व्यक्ति दुःख का कारण बन जाता है। हम प्रियता के नाम पर जितना दुःख भोगते हैं, अप्रियता के नाम पर उतना नहीं भोगते । हम प्रियता के नाम पर हजारों कष्ट झेले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002746
Book TitleJain Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size10 MB
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