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________________ साधना की भूमिकाएं - ६५ बात भीतर ले जाएं । वह बात भीतर जम जाएगी । आप तनावों की ग्रंथियों को न खोलें और उपदेश का अंबार भी लगा लें तो भी वे व्यर्थ होगें । वे लौटकर आपके ही पास आएंगे, भीतर तक नहीं बैठ पाएंगे । उन उपदेशों का कोई दोष भी नहीं है, क्योंकि तनाव उनको स्वीकार ही नहीं करते, उनको भीतर जाने नहीं देते। जब शांति आती है तब तनाव टूटने लगते हैं, कम होने लगते हैं, तनाव कम होते ही दुःख-मुक्ति की भावना प्रबल हो उठती है । यह कायोत्सर्ग की तीसरी निष्पत्ति है । तब साधक छटपटा उठता है कि दुःखों से छुटकारा कैसे मिले ? दुःख-मुक्ति कैसे हो ? जब यह भावना प्रबल होती है तब पदार्थ के प्रति सारा दृष्टिकोण ही बदल जाता है । पदार्थ के प्रति पलने वाली आसक्ति टूटने लगती है । वह एक साथ नहीं टूटती, दृष्टिकोण बदलते ही शरीर की आज्ञाओं का पालन करने की भावना नहीं होती, किंतु शरीर के साथ एक समझौता हो जाता है। कायोत्सर्ग की निष्पत्तियां ___महावीर ने दीक्षित होते ही सबसे पहले संकल्प किया था, "आज से मैं शरीर को छोड़ रहा हूं । मैं उसकी कोई सार-संभाल नहीं करूंगा।' फिर उन्होंने शरीर के साथ समझौता किया कि “शरीर मुझे साधना में सहयोग दे रहा है तो मैं भी उसका निर्वाह करूँगा।''समझौता हो गया । अब शरीर वह नहीं रहा कि वह हुकूमत चलाता रहे, जैसे-जैसे शरीर के कार्य हमारे सामने आते जाएं और हम उनकी नौकरी करते ही चले जाएं । महावीर ने यह नौकरी करनी बंद कर दी । उन्होंने सोचा-कांटा चुभे तो चुभे, मैं उसे नहीं निकालूंगा | शरीर पर कुछ भी पड़े, मैं नहीं पोंछूगा । उन्होंने शरीर की सारी नौकरी बंद पर दी । वे ठीक इस समझौते के साथ चले कि तुम मेरा सहयोग करो, मैं तुम्हारा निर्वाह करूंगा । इससे आगे तुम मेरे से आशा मत रखो | यह निर्वेद जाग जाता है । उसमें यह निर्वेद प्रकट होता है तब वह शरीर की अधीनता को समाप्त कर समझौते के साथ चलता है । जिस व्यक्ति में अभय, शांति, दुःख-मुक्ति की जिज्ञासा और दुःख-मुक्ति के लिए अनासक्ति का भाव जाग जाता है, वह मृदु हो जाता है । उसमें कोई कठोरता नहीं होती । उसमें अनन्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002746
Book TitleJain Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size10 MB
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