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________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ 59 184. त्रिपाठी, प्रमिला काव्यानुशासन एवं सरस्वती कण्ठाभरण- तुलनात्मक अध्ययन .......... ..........., प्रकाशित प्रवक्ता- एम० एल० के० (पी० जी०) कॉलेज, बलरामपुर, गोण्डा (उ०प्र०) प्रका०- परिमल पब्लिकेशन्स 27/28, शक्तिनगर, दिल्ली-110007 प्रथम : 1989/150.00/15 + 376 अ०- (1) काव्यानुशासन एवं सरस्वती कण्ठाभरण का संक्षिप्त परिचय, (2) हेमचन्द्र एवं भोजराज की काव्य विषयणी उद्भावनाओं का तुलनात्मक अध्ययन, (3) काव्यानुशासन एवं सरस्वती कण्ठाभरण में वर्णित दोषों का विवेचन, (4) काव्यानुशासन एवं सरस्वती कण्ठाभरण में वर्णित गुणों का विवेचन, (5) काव्यानुशासन एवं सरस्वती कण्ठाभरण में रसभावादि का तुलनात्मक अध्ययन, (6) काव्यानुशासन एवं सरस्वती कण्ठाभरण में अलंकारों का तुलनात्मक अध्ययन, (7) काव्यानुशासन एवं सरस्वती कण्ठाभरण में नायक-नायिकाओं का तुलनात्मक अध्ययन, (8) काव्यानुशासन एवं सरस्वती कण्ठाभरण का तुलनात्मक मूल्यांकन। 185. त्रिपाठी, रामप्रसाद जैन संस्कृत महाकाव्य परम्परा और अभयदेव कृत जयन्तविजय लखनऊ, 1981, प्रकाशित नि०- डा० शिवशेखर मिश्र, लखनऊ वि० वि०, लखनऊ (उ०प्र०) संस्कृत विभाग, युवराज दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, लखीमपुर खीरी (उ०प्र०) प्रका०- साहित्य निकेतन, शिवाला रोड, गिलिस बाजार, कानपुर - 208001 प्रथम : 1984/95.00/343 अ०- (1) संस्कृत के जैन महाकाव्यों की परम्परा, (2) जयन्तविजय महाकाव्य का महाकाव्यत्व, (3) जयन्तविजय महाकाव्य की ऐतिहासिकता, (4) जयन्तविजय महाकाव्य में रीति, गुण, अलंकार तथा छन्द, (5) जयन्तविजय महाकाव्य में वर्णन-प्रसंग, (6) जयन्तविजय महाकाव्य में रस-निरूपण, (7) आदान-प्रदान - परिशिष्ट। 186. Trivedi.K.H. The Natya Darpana of Rama-Chandra and Guna Chandra : A Critical Study. Gujarat, 1961, Unpublished. 187. त्यागी, मधु (श्रीमती) पद्मानन्द महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन मेरठ, 1996, अप्रकाशित नि०- डा० सुषमा, मुजफ्फरनगर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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