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________________ चनः प्रकारकं परमात्पतत्रादकर मोपदेश देवें उप्पयार कहेइधमा पररम् सर्व ई या जा चित दवन्धमा ससुतेसु नावो महादोमुरो हो||५|| नाचीं नदहितर नोका बलीत भावकेर बाजेस्वजिदेवल कप बलीमा बधमकवोबे जन्मप्राप्तिनि मैत्राचित्पत्र वाजिमोक्ष लिहाजवाने पाई • मनोची बितरन पामवान णि भावो सग्गापवगापुरसरणी नवा मरणदिति द्वितीयचिंगमणीरत्न ६ ते भावने धरतोयको श्री पाम्पु चे उछ समय तक चारित्राविनाचारि सरषोबाई 'तत्वते जे एहूं. वरहितपा तामणी नावो ॥६॥ नाविको अवगतौहित्राचरितो गि सरस्यो यको पछिल सर्वलोका लोकविकाशक के ऐप्रकारची वतनामुख श्री सोनल निमुक्यो वज्ञानयाम्पो त दर से दिवसतो सपत्तेोकवस्न नाएं।॥वतरेइदन्नईनाम आएगा। ४ दानशील भावना लक्ष ऋदकर) च्यारप्रकारें धर्म दासी लतव भावारण मेरा हि चन चिह भावनोमोटो प्रभावमहिमा बैं 4 तेरेकरीच्या प्रकार सेवानिवसतीरस Jain Education International प्राकृत - पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal Use Only (३०) www.jainelibrary.org
SR No.002730
Book TitlePrakrit Pandulipi Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2006
Total Pages96
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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