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________________ (४) रचनाका आश्रय लेते हुए उक्त कथाको अपनी रुचि व आम्नायके अनुसार यत्र-तत्र परिवर्तित व परिवर्धितभी किया है । उदाहरणार्थ, हरिवंशपुराणकारने पाण्डवोंकी उत्पत्ति इस प्रकार बतलाई है 'शान्तनु राजाकी पत्नी योजनगन्धा थी। इससे उनके धृतव्यास पुत्र हुआ । धृतव्यासका पुत्र धृतधर्मा और उसकाभी पुत्र धृतराज था । धृतराजके अम्बिका, अम्बालिका और अम्बा नामकी तीन पत्नियां थी। उनसे धृतराजके क्रमशः धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर ये तीन पुत्र हुए। इनमें धृतराष्ट्रके पुत्र दुर्योधन आदि थे । पाण्डुका विवाह कुन्तीके साथ हुआ था। उसके विवाह होनेके पूर्व कन्यावस्थामें कर्ण पुत्र हुआ, पश्चात् विवाहित अवस्थामें युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन ये तीन पुत्र हुए । नकुल और सहदेव पाण्डुकी द्वितीय पत्नी मद्रीसे उत्पन्न हुए थे' यहां भीष्मका जन्म शान्तनुकीही परम्परामें गंगा नामक मातासे बतलाया गया है। [ श्लोकमें जो ‘रुक्मिणः ' पद है वह भीष्मके पिताका नाम प्रतीत होता है। प्रस्तुत पुराणमें तो उनकी उत्पत्ति इस प्रकार बतलाई गई है- शान्तनुके सवकी नामक पत्नीसे पराशर राजा उत्पन्न हुआ था। उसका विवाह जन्हु विद्याधरकी पुत्री जाह्नवी [ गंगा ] के साथ हुआ । इन दोनोंके गांगेय पुत्र उत्पन्न हुआ। गांगेय [ भीष्म ] के अपूर्व त्याग व विशेष प्रयत्नसे पराशरको नाविक-परिपालित रत्नाङ्गद पुत्री गुणवतीका [योजनगन्धिकाका लाम हुआ था। पराशर और गुणवतीने व्यासको जन्म दिया । व्यासके सुभद्रा पत्नीसे धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर ये तीन पुत्र उत्पन्न हुए । इनमें पाण्डुने कुन्तीसे कर्ण [ अविवाहित अवस्थामें ], युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन तथा माद्रीसे नकुल और सहदेवको उत्पन्न किया। इस परम्परामें हरिवंशपुराणके कर्ताने केवल शान्तनु आदिके नामोंकाही उल्लेख किया है, किन्तु पाण्डवपुराणके कर्ताने उन नामोंके आश्रित कुछ विशेष घटनाओंकोभी जोडा है-जैसे पराशर और गुणवती आदि । गुणवती यह नाम सम्भवतः शुभचन्द्र के द्वाराही कल्पित किया गया प्रतीत होता है; अन्यथा महाभारत, देवप्रभ सूरिके पाण्डवचरित्र और उत्तरपुराणमें इसके स्थान में 'सत्यवती' नाम पाया जाता है । हरिवंशपुराणमें शान्तनुकी पत्नीका जो योजनगन्धा नाम निर्दिष्ट किया गया है, प्रकारान्तरसे पाण्डवपुराणके कर्तानेभी उसका सम्बन्ध गुणवती [ सत्यवती ] के साथ जोडा है। [ देखिये पर्व ७, श्लोक ११५ ] विशेषता यही है कि उन्होंने महाभारत अथवा देवप्रभसूरिके पाण्डवचरित्रके अनुसार इस घटनाका सीधा सम्बन्ध शान्तनुसे न जोड़कर उत्तरपुराणके निर्देशानुसार [ ७०, १०२-१०३ ] उनके पुत्र व्यासके साथ जोडा है। हरिवंशपुराणमें सुकुमारिका [ द्रौपदीकी पूर्वपर्याय ] के साथ जिनदेवका वानिश्चय और जिनदत्तके साथ विवाहका उल्लेख पाया जाता है । यथा १ ह. पु. ४५, ३१-३५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002721
Book TitlePandava Puranam
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorJindas Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1954
Total Pages576
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, Story, & Biography
File Size15 MB
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