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________________ गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति आसव आस्रव अभाव इन्द्रियाँ-स्पर्शन, . (मनोयोग 4-सत्य, असत्य, उभय, मिश्र,वैक्रियिक, वैक्रियिक रूसना,घ्रण,चक्षु, अनुभय,क्चनयोग4-सत्य,असत्य, | मिश्र,और कार्मणकाययोग), श्रोत्र तथामन, | उभय,अनुभय,काययोग 1 4अनन्तानुबन्धी,4 प्रत्याख्यान-क्रोध, औदारिक), कषाय 17 (कषाय8 अप्रत्याख्यान, वस . मान, माया, लोभ] प्रत्याख्यान-क्रोध, मान, माया, लोभ, | अविरति] संज्वलन-क्रोध,मान,माया, लोभ,9 नोकषाय - हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद,फेद, नपुंसकवेद)] 6.प्रमत्त संयम 2 [आहारक काययोग, आहारक मिश्र काययोग] | 24 [11 योग (मनोयोग 4सत्य, असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग 4 - सत्य, असत्य, उभय, अनुभय, काययोग 3 - आहारक, आहास्कमिश्र, औदारिक), कषाय 13 (कषाय 4संज्वलन-क्रोध, मान, माया, लोभ, नोकषाय - हास्य, | रति, अरति,शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुद, नपुंसकवेद)] 33 [12 अविरति, 5 मिथ्यात्व, औदारिक मिश्र,वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र, और कार्मण काययोग) 4 अनन्तानुबन्धी 4 अप्रत्याख्यान, 4 प्रत्याख्यान 7. अप्रमत्त संयम | 22 [9 योग (मनोयोग 4 - सत्य, | 35 [12 अविरति, असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग | 5 मिथ्यात्व, औदारिक 4 - सत्य, असत्य, उभय, | मिश्र, वैक्रियिक, अनुभय, काययोग 1- औदारिक), कषाय | वैक्रियिकमिश्र, आहारक, 13 (कषाय 4 संज्वलन -क्रोध, मान, | आहारकमिश्र और कार्मण माया, लोभ, नोकषाय-हास्य, रति, काययोग) अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, | 4अनन्तानुषन्धी,4 फुवेद, नपुंसकवेद)] अप्रत्याख्यान, 4 प्रत्याख्यान करण 8. अपूर्व- 6 [हास्य, रति, 22 [७ योग (मनोयोग 4 - सत्य, | 35 [12 अविरति, अरति, शोक, भय, | असत्य, उभय, अनुभय, वचनयोग | 5 मिथ्यात्व, औदारिक जुगुप्सा 4 - सत्य, असत्य, उभय, मिश्र, वैक्रियिक, अनुभय, काययोग 1- औदारिक), कषाय वैक्रियिकमिश्र,आहारक, 13(कषाय 4 संज्वलन-क्रोध, मान, आहारकमिश्रऔर कार्मण [13] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002706
Book TitleAsrava Tribhangi
Original Sutra AuthorShrutmuni
AuthorVinod Jain, Anil Jain
PublisherGangwal Dharmik Trust Raipur
Publication Year2003
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size4 MB
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