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________________ अभ्यास 14 (क) निम्नलिखित वाक्यों को अपभ्रंश में रचना कीजिए । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए1. धन बढ़े। 2. व्यसन नष्ट होते हैं । 3. · गठरियां लुढ़कती हैं। 4. कागज जलते हैं । 5. राज्य प्रयत्न करते हैं । 6. नागरिक सोयेंगे । 7. विमान उड़ें । 8. कागज सूखते हैं। 9. छींके कम होती हैं। 10. लकड़ियां जलेंगी। 11. नागरिक अफसोस करते हैं। 12. गीत गूंजेंगे। 13. राज्य भूल करते हैं। 14. कागज सूखें। 15. जंगल नष्ट होते हैं। 16. धागे कम होते हैं । 17. भय नष्ट होंगे। 18. धान उगते हैं। 19. व्यसन नष्ट हों। 20. गीत गूंजते हैं। 21. गठरियां लुढ़कें । 22. धान उगेंगे। 23. नागरिक प्रयत्न करें। 24. लकड़ियां जलती हैं। 25. जंगल जलते हैं। 26. गठरियाँ लुढ़केंगी। 27. धान उगें । 28. जंगल नष्ट होंगे। 29. भय नष्ट हो। 30. विमान पड़ते हैं । 31. नागरिक भागे । 32. शासन फैलें। 33. विमान उड़ेंगे । 34. घागे टूटते हैं। 35. वस्त्र जलते हैं। 36. नागरिक कूदते हैं। 37. खेत नष्ट होते हैं । 38. राज्य सोहें। 39. बीज उगते हैं । 40. घागे गलकर टूटेंगे। 41. नागरिक भूलकर अफसोस करते हैं। 42. बीज बढ़ने के लिए उगेंगे। 43. धान उगकर बढ़ते हैं। 44. नागरिक जागने के लिए उत्साहित होते हैं। 45. लकड़ियां जलने के लिए नष्ट होती हैं । 46. गीत गूंजकर प्रकट होते हैं। 47. कर्ज घटकर नष्ट होंगे। 48. गठरियां लुढ़ककर गिरती हैं। 49, राज्य उत्साहित होकर प्रयत्न करते हैं। 50. नागरिक नाचने के लिए उठे। 51. राज्य फैलने के लिए झगड़ा करते हैं। 52. नागरिक उपस्थित होकर प्रसन्न होंगे। 53. विमान गिरकर नष्ट होते हैं। 54. नागरिक प्रयास करके खेलें। 55. विमान ठहरकर उड़ेंगे। 56. बीज उगकर बढ़ते हैं। 57. लकड़ियां जलकर नष्ट होंगी।। 58. नागरिक कूदकर भागते हैं। 59. वस्त्र गलकर नष्ट होते हैं। नोट-इस अभ्यास-14 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ' के पाठ 35 का अध्ययन करें। 56 ] [ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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