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________________ अभ्यास-38 (क) निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए 1. हे पुत्र ! तू कहानी सुन । 2. नीच का साथ हृदय से छोड़। 3. उसके द्वारा उच्च के साथ संग किया गया । 4. बनारस नगर में अरविन्द नामक राजा है। 5. वह अपने मन में सन्तोष धारण करता है। 6. वह एक दिन शिकार के लिए गया/जाता है। 7. राजा जलरहित जंगल में फंस गया । 8. भूख और प्यास सबको व्याकुल करती है। 9. वणिक के द्वारा अमृत से बने हुए फल दिए गए। 10. घर जाकर राजा ने उसको पुरस्कार दिया । 11. उच्च व्यक्ति के साथ संगति सुखकारी होती है । 12. वणिक सुन्दर नगर में रहता है। 13. उसने हृदय से नीच के संग को समझा। 14. उच्च के साथ संगति कर। 15. वह सम्पत्ति के लिए जीता है। 16. वे दोनों वहां अनुराग से रहते हैं । 17. राजा के द्वारा वणिक मन्त्री के पद पर रखा गया । 18. राजा वणिक पर सन्तुष्ट हुया । 19. मन्त्री राजा के पुत्र का हरण करके भागा। 20. मेरे द्वारा राजा का पुत्र मारा गया है। 21. जो कोई भी राजा के पुत्र को बतायेगा, वह ही धन के साथ भूमि भी पायेगा । 22. मेरे द्वारा तुम्हारा पुत्र देखा गया। 23. वह तुम्हारे नये मन्त्री के द्वारा मारा गया है। 24. तब किसी ढीठ के द्वारा राजा के आगे शीघ्र कहा गया। 25. उसके वचन सुनकर सरलबाहु सन्तुष्ट हुआ । 26. मन्त्री के द्वारा तीन फल दिए गए। 27. राजा क्षण भर में प्रसन्न हुआ । 28. राजा के स्नेह को जानकार मन्त्री सन्तुष्ट हुआ। 29. उसके द्वारा राजा का पुत्र सौंप दिया गयो । 30 हे राजा ! तुम्हारा चित्त मेरे द्वारा पहचान लिया गया है । 31. राजा के द्वारा पुरस्कार घोषित किया गया । 32. जो व्यक्ति बड़ों की संगति करता है वह इच्छित सम्पत्ति प्राप्त करता है । 33. करकंडु के द्वारा सभी कलाएं जान ली गयीं। 24. जो व्यक्ति नीति से व्यवहार करता है वह भूमण्डल को अवश्य ही भोग करता है । 35. उसने स्नेहपूर्वक कहा । नोट - इस अभ्यास-38 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश काव्य सौरभ' के पाठ-12 का अध्ययन कीजिए। अपभ्रंश अभ्यास सौरभ ] [ 151 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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