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________________ अभ्यास- 22 ( क - 1 ) निम्नलिखित क्रियाओंों में 'श्रव्व' प्रत्यय लगाकर विधिकृदन्त बनाइये । उनके नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन के रूप लिखिए - 2. लज्ज 1. हस 3. कलह 5. घुम उदाहरण क्रिया हस विधि कृदन्त हसिनव्व सेव उदाहरण क्रिया हस 100 ] ( क - 2 ) निम्नलिखित क्रियानों में 'इएव्वजं, एव्वउं, एवा' प्रत्यय लगाकर विधिकृदन्त बनाइए । ( प्रयोग के लिए इनमें विभक्ति की आवश्यकता नहीं होती है ) - 1. हस 3. थंभ 5. जागर Jain Education International 4. अच्छ 6. चेटू विधि कृदन्त ( परिवर्तनीय रूप ) नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन हसिव / हरिश्रवा / हसिश्रव्वु हसेव / हसेवा / हसेनव्वु 2. उवसम 4. कुद्द 6. थक्क नोट - इस अभ्यास - 22 को हल करने के लिए 'अपभ्रंश रचना सौरभ' के पाठ 48 का अध्ययन कीजिए | विधि कृदन्त ( परिवर्तनीय रूप ) हसि एब्व उं / ह से व्व उं / हसेवा For Private & Personal Use Only [ अपभ्रंश अभ्यास सौरभ www.jainelibrary.org
SR No.002697
Book TitleApbhramsa Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1996
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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