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________________ 35 ह्रस्वोमि 3/36 ह्रस्वोमि [ ( ह्रस्व:) + (मि) ] हृस्व: ( ह्रस्व ) 1 / 1 मि (म्) 7/1 ( प्राकृत में ) म्परे होने पर हृस्व ( हो जाता है) । श्राकारान्त, दीर्घ इकारान्त और दीर्घ उकारान्त पुल्लिंग, स्त्रीलिंग शब्दों में परे होने पर दीर्घ का ह्रस्व हो जाता है । द्वितीया के एकवचन में कहा (स्त्री.) - ( कहा + लच्छी (स्त्री.) - ( लच्छी + बहू (स्त्री.) - ( बहू +) गामरणी (पु) - ( गामणी + 36. नामन्त्र्यात्सौ मः सयंभू (पु.) - ( सयंभू + =) ) = ( कह + = ) ) = ( लच्छि + =) ) ( बहु + ) = ( गामणि + वारि ( नपुं. ) - ( हे वारि + सि) Jain Education International कहं ( द्वितीया एकवचन ) लच्छ ( द्वितीया एकवचन ) (द्वितीया एकवचन) = बहु = = = ) = नामर 3/37 नामन्त्र्यात्समः [ (न) + (श्रामन्त्रयात्) + (सौ) ] मः न = प्रभाव श्रामन्त्रयात् ( श्रामन्त्रय) 5 / 1 सौ (सि) 7 / 1 म: (म्) 6 / 1 ( सयंभु + ) = सयंभुं ( प्राकृत में ) ( नपुंसकलिंग शब्दों में ) श्रामन्त्रण ( सम्बोधन ) से परे सि में म् (-) का प्रभाव ( हो जाता है ) । ( द्वितीया एकवचन ) अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों में सम्बोधन से परे सि (प्रथमा एकवचन का प्रत्यय) म् (-) का अभाव हो जाता है । कमल (नपुं. ) - ( हे कमल +सि) = ( हे कमल + ० ) = हे कमल (सम्बोधन एकवचन ) ( द्वितीया एकवचन ) (हे वारि + ० ) = For Private & Personal Use Only ( सम्बोधन एकवचन ) महु ( नपुं. ) - ( हे महु + सि) = ( हे महु + ० ) = हे महु ( सम्बोधन एकवचन ) प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ 1 हे वारि [ 29 www.jainelibrary.org
SR No.002688
Book TitlePraudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1999
Total Pages248
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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