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________________ ८६ 'मईं विस- वेलि- मूल स्वणि सोहिउं 'वेलि किसी' इम पूछइ केसी 'भव तण्हा विस- वेल्लि भणीजइ जं जगि विसय पिवासा नडिया 'साहु साहु गोयम तुह पन्ना अन्न व एक अस्थि संदेहू तो गोयम वुच्चइ तं निणि महेसी तो गोयम वुच्चइ तं निसुणि महेसी संधिकाव्य-समुच्चय 'जाल - कराल जलइ जा अग्गी सा तई गोयम किम उल्हाविय 'सा मई" मेह- नीरि निव्वाविय भइ केसि ' के पावग पाणी' 'कोव जलणु जिण' - नलहर - 'वाणी कवि जलंतु स्वगु 'अहि थाई 'साहु साहु गोयम तुह पन्ना अन्न वि एक अस्थि संदेहू 10 Jain Education International घत्ता 'जं तुहु रुच्चाइ पभणइ केसी [<] "त हउ तसु विस- वाइ न मोहिउ' " तर गोयम-गुरु कहइ सुहेसी विसय मुल संवेगि खणीजइ दो-वि सुवन्नकार भवि पडिया' एह भंति मह चित्तह छिन्ना पहु गोयम माझ्झु कहेहू' घत्ता 'जं तुह रुच्चाइ पभणइ केसी [ ९ ] दूद्दमु दुट्ठ तुरंगम मच्छइ गोयम 12 तेणि तुरंगमि 15 चडियउ 'मई सु तुरंगम दमि वसि कीधउ 'आसु" किसउ' केसी पूछेई ६ तं पुच्छेद्द भदंत लहु' विणय-धम्म पयडंत बहु ॥९ माग मेल्हि उमागि जु गच्छ तुहु कहि केम उमागि न पडियउ' २ तउ हउं तीणि उमागि न लीघउ ' 1 " तर तसु गोयम ऊतर देई 14 ४ 1. B. तुहुं तिणि विसमाइ 2. B. तो गुरु गोअम कह० 3. B. तर 4. A. केम 5 A. मह 6. B. जिअ 7. A. ठाणी 8 B. जाणेवउ 9. B. णमाई 10. A. अछइ 11. B. उम्मग्गिं जि 12. B. तीणि 13. B. चडिउ, तुं कहि किम उम्मग्गि न पडिउ 14, B. हुं तीणि उम्मग्गि 15. B. किसु 16. B. तुतिम गोअम संतावर देहंतरि लग्गी 8 जं तुह तणु दीसइ अण-ताविय' २ उ तिमिह तणु न हु संतात्रिय' गोयमु : कहइ अमियमइ वाणी 8 जावि सुय सीयलु पाणी नागदत्तु उवसमि सिवि जाई' ६ एह भंति मह चित्तह छिन्ना तंपि हु गोयम माझु कहेहू' ८ तं पुच्छे भदंत लहु' विणय - धम्म पयत बहु ॥ ९ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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