SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाँचवाँ स्तबक फिर हम दीप आदि के लोकप्रसिद्ध दृष्टान्तों में कहीं भी यह कहना न्यायसंगत नहीं पाते कि यहाँ प्रकाशनक्रिया केवल प्रकाशनरूप तथा अकर्मक है; इसलिए भी प्रस्तुत वादी का उक्त मत किसी काम का नहीं (अर्थात् यह मत की ज्ञान एक अकर्मक तथा केवल प्रकाशन रूप क्रिया है ) । दृष्टान्तमात्रतः सिद्धिस्तदत्यन्तविधर्मिणः । न च साध्यस्य यत् तेन शब्दमात्रमसावपि ॥ ४०२ ॥ और केवल दृष्टान्तों की सहायता से एक ऐसे साध्य को सिद्ध नहीं किया जा सकता जो उन दृष्टान्तों से अत्यन्त विसदृश हो; अतः प्रस्तुतवादी द्वारा अपने पक्ष के समर्थन में दिए गए दृष्टान्त भी ( अर्थात् 'बैठना', 'सोना' आदि क्रियाओं के दृष्टान्त भी) कोरे शब्द हैं । (२) विज्ञानाद्वैतवाद में मोक्ष की अनुपपत्ति किं च विज्ञानामात्रत्वे न संसारापवर्गयोः । विशेषो विद्यते कश्चित् तथा चैतद् वृथोदितम् ॥४०३॥ दूसरे, विज्ञान को ही एक मात्र वास्तविक सत्ता मानने पर संसार तथा मोक्ष के बीच किसी प्रकार का अन्तर नहीं रह जाता; और ऐसी दशा में प्रस्तुत वादी का निम्नलिखित कथन किसी काम का नहीं : चित्तमेव हि संसारो रागादिक्लेशवासितम् । तदेव तैर्विनिर्मुक्तं भवान्त इति कथ्यते ॥ ४०४॥ १२५ "राग आदि मनोदोषों से दूषित चित्त का ही नाम संसार है तथा इन्हीं मनोदोषों से मुक्त चित्त का नाम मोक्ष है" । रागादिक्लेशवर्गों यन्न विज्ञानात् पृथग् मतः । एकान्तैकस्वभावे च तस्मिन् किं केन वासितम् ॥४०५॥ सचमुच, प्रस्तुतवादी के मतानुसार राग आदि मनोदोष विज्ञान से पृथक् कोई वस्तु नहीं होना चाहिए, और इस प्रकार जब विज्ञान ही एक मात्र वास्तविक सत्ता है तो प्रश्न उठता है कि कौन किसे दूषित करता है ( प्रश्न इसलिए कि कोई वस्तु अपने आप को दूषित नहीं कर सकती ) । क्लिष्टं विज्ञानमेवासौ क्लिष्टता तस्य यद्वशात् । नील्यादिवदसौ वस्तु तद्वदेव प्रसज्यते ॥ ४०६ ॥ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002647
Book TitleSastravartasamucchaya
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorK K Dixit
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy