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________________ रत्नचूड-रास तात-तगर कागल आवियउ मसा-तणा अस्ति ल्याविजउ परइ अछइ जु अम्हारइ चाड तुम्हे ल्यावउ मसा-ना हाड २९७ राउ भणइ तुम्हे कांइ कहि बोलिउं तउ जोईइ निरवहिलं लक्ष्मी एहनी आपउ रही जासिइ नाक कान बे सही २९८ कुमर भणइ भरी आपउ जाण अम्हे नवि लेउं कूडउं क्रियाण दस-इ कोडि तिहां चिहुए कही कुमरई तेह जि लीधी सही २९९ ततखिणि काणउ आविउ तिहां कहु दे आंखि अम्हारी किहां जमली काढी मूकउ आंखि तोली आपउं राजा-साखि ३०० ल्याविउ शस्न नई काढिउ सार काणउ नाठउ तीणइ वारि तिणि अवसरि माली आवियउ तेणई कुमर जि बोलावियउ ३०१ कांइ अम्हारडं आपउ तुम्हे राय-वदीतउं लेसिउं अम्हे सउ पंचास लिउ तुम्हे सही ओसीकल तुम्हे करउ रही ३०२ माली कहई तउ काइ लीडे आवि भाई तु ताहरउं दीउं हाथ घलाविउ घट-माहि पछई वलतउं इम कहइ कांइ अछइ ३०३ ऊसरामण थया छउं अम्हे महाराज सांभलिज्यो तुम्हे माली प्रीछवी रहिया जाम सूत्रधार तिहां आविउ ताम ३०४ अम्हे जावा हीडउं छउं गामि झगडउ टालउ लेई द्राम अम्हे कांई नही लीउं भई रुलियाइत करउ नइ लई ३०५ २९७. ४. ख. आपस्यउ; ग. आपो. २९७ पछी क. मां नीचेना पाठ वधुः पछइ आयु ससानां सींग, पहिलु तु थया छउ रीग कागलमा प्रीछवणी भली, कहिक घोडानु ल्यावउ वली गाडानु आपु चींचूउ, तेत तणु ए ऊतर एउ च्यारि वस्तु आपु तुझे सार, हवईम करसउ कांइइ कार २९८. ३. ग. कही. २९९. १. ग. ठ. आपो वाहाण. ४. ठ. तिहा कणि, ३००. ४. ख. तो वारइ कुमरय साषि. ३०१. १. क. काढिवा सारि; ग. काटल सार, ३०२. ४. ख. उसीगलउ; ग. उसींगल करूं तुझे भाई, ठ अभ्हे थाउ सही. ३०३. १. ग. लेड. २. क. हू; ग. देउं. ३०५. २. ग. भाई. ४. ग. लाई. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002641
Book TitleRatnachuda Rasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages78
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
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