SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२ प्रधुम्नकुमार-चुपई जंबूद्वीप भरह खित्तह ठाम मगधदेस! लक्ष्मी तिहि गाम सोमदेव तिहार विप्रह होइ तस घरणी लिखिमीवती जोइ एकवार ते विनह मझारि लिखिमीवती आवी ते नारि वनमांहि अति क्रीडा करी मयूरांड ते हाथइ धरी पीला इंडॉ4 मेल्ही करी भवण भणी जावा सांचरी तेतलइ आवी माय मयूरी इंडां देखी पाखलि फिरी कों को करती पासइ फिरइ इंडां उपरि नवि अणसरइ पासू नवि मेल्हइ एकइ घडी वार वार जोइ बापडी सोल घडी हुई जेतलइ धाराधर वूठइ तेतलइ धोवाणां इंडां7 जेतलइ उलखि ऊपरि बइठी तिसिइ इंडां8 सेव्यां सोले घडी मयूरी अति हरखइ चडी क्रमि क्रमि ईडांथी ते हूउं मोर एक अनोपम जूउ लिखिमीवती ते आवी वली देखी मोरनइं घj ऊछली लीयु मोर न लाई वार मयूरी10 तव करइ पुकार लेई मोरनइ ते घरि गई पूठिइ धाइ मयूरी थई मोर पांजरइ घालीउ जिसिई मयूरी फेरा दिइं तिसई क्रों क्रों शबद करीनइ रोइ लोक घणा आवी तिहां जोइ माय-पुत्रनुं घणु सनेह खिणि खिणि आवां देखइ तेह १९६ मयूरी न मेरहइ पंजरुं दिवस-राति पुत्र खरखरूं लोक घणा आव्या मिली मूकि मोर पहुचइ मन रली सोलमास राखिउ ते मोर बांधा कर्म तिहिं अतिहि कठोर सोलमासनां सोल वर्ष थीयां मोर-मयूरी वनमांहि गयां १९८ लिखिमीवती इम बांधिलं कर्म नवि जाणिउं ते धरमह मर्म चाली एकदा निज भुवनि उदार हारइ11 पहिरइ ते सिणगार 1. मगधदेश 2. विहां 3. मूयूरांड 4-5. इडा 6-7-8 ईडां 9. सोन्या 10. मोयूरी 11. हरइ १९४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy