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________________ नेमिनाहचरिउ [२१९४ [२१९४] देवु धम्म वि गुरु वि पर-भवु वि अ-गणंतउ भणिउ मई भद्द भद्द करि धम्म-कम्मई । मा निवडिवि भव-गहणि सहसि दुहई न लहसि य सम्मई ॥ ता जंपिउ पाविण इमिण अ-वियाणिय-तत्तेहिं । कि वा मोहिउ सुह-मिसिण तं पि हु पहु धुत्तेहिं ॥ [२१९५] नत्थि धम्मु वि न य अहम्मो वि नो सुकय न दुक्कय वि ता किमित्थ गुरु-देव-धम्मिहि । परिचिट्ठइ जगु सयलु पंच-भूय-समुदाय-कम्मिहि ॥ जा जीविज्जइ ता मुहिण नत्थि मरण-समु सत्तु । इंगालीभूयह मयह जियह पुणागमु कत्तु ॥ [२१९५] इय पयंपिरु विविह-जुत्तीहिं पडिसिटूटु विन-वि मुयइ जाव कह-वि कुग्गहु नियल्लउ । निद्धाडिउ ताव मई एहु जइ वि अइ-खरउ भल्लउ ॥ तेणं चिय वइरिण इह वि एयह छिन्नउ पाउ । तारिस-कम्मिण पुणु असुरु लोहियक्खु इहु जाउ ॥ [२१९७] इय सुणंतह लोहियक्खस्सु संमत्त-चिंतारयणु जाउ तम्मि देसम्मि पत्तह । सेट्ठी वि सुणेवि इहु सुमरणत्थु स-महिस-चरित्तह ॥ कारावइ विच्चिवि दविणु तिणि देव-हरयाई । महिमु ति-खुरु एगई अवरि मिगधय-मुणि-रूवाई ॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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