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________________ ४८० नेमिनाहचरिउ [२१०९ [२१०९] तयणु नायर रोग-विहुरंग सुहि-सज्जण-मरण-भय- अहर-देह पव्वयग-सविहिहिं । आगच्छहि हवहिं पुणु तदुवइट-दियहाण अवहिहिं ।। पसुमेहाइ अणेग-विह जन-विसेस जजंत । जायहिं दिव्य-वसेण गय- रोग समम्गि वि सत्त ॥ [२११०] ता विसेसिण सयलि नायरय संजाय-पच्चय तहिं जि पाव-कम्मि पसुमेह-पमुहइ । सव्वायरु उज्जमहिं अ-सिव-हरणि पव्वयग-कहियइ ।। निच्चु वि जल-थल-नहयरह नाणाविहहं जियाहं । संजायइ संहारु पइ- दियहु वि तहिं किरियाई॥ [२१११] सयर-निवइहि लोउ पुणु सयलु पीडिज्जइ बहु-विहिहि दूसहेहिं वाहिहि निरंतरु । पव्वयगह वयणु अणुसरिवि असुह-पब्भार-निभरु ॥ अठुत्तर जन्नहं सहसु कारइ दिक्खिउ होउ । उज्जमइ य तेण वि कमिण सयलु वि नायर-लोउ ।। [२११२] देइ अणु-दिणु दाणु विप्पा अवहीलइ धम्मियणु कुणइ भणिउ पव्वयग-पावह । धण-लुद्धय वंभण वि तसु जि चेव गच्छंति सेवहं ॥ एत्थंतरि नारय-रिसिहि मित्तु दिवायर-नामु । खयर-कुमारु जिणाहिवइ- भणिय-किरिय-कुल-धामु ॥ २१०९. ४. ख. आगच्छहि नूण पुणु २०१०. ९. क. करियाहं. २११२. ९. क. कुधामु. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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