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________________ ४६० नेमिनाears [२०२८] इय विचितिवि चारुदत्तेण एगत-पसि वमुदे धूय-सहिण स- संकिण | संलत्तउ नर-रयण धुवु इमेण तनु-कंति कित्तिण ॥ नज्जसि सुर- गिरि- तुंगि कुलि कत्थ-वि तुहुं उप्पन्नु । arot महं इमिहि गुणिहि न हवाइ नरु सामन्नु ॥ [२०२९] वणिय - मित्तह इमह इह धूय गंधव्वसेति तुहुं परि निसुणसु वालियह आसि महिढपुर-पवरु निम्मल सम्मद्धिट्ठि । अहिगय-जीवाजीव - विहि भाणु नामु इह सेट्ठि ॥ Jain Education International 2010_05 चिंतयंतु चिट्ठसि स चित्तिण । इमह कहहुं उप्पत्ति लेसिण || [२०३०] तस्स भारि पुणु सुभद्दति तेसिं तु उयाइइहिं कम जोगिण तरुणियणतयतरु वहु- सुहि- सहिउ पेक्ख स-पिओ वि-हु खयर- पयई तीरि सरियाए || तयसारिण वच्चतर कयलि - हरि तवारि तहोसहिहिं सह एगेण महा- दुमिण खयरु एगु वेयण-विहरु जाउ चारुदत्तोत्ति नंदणु । हियय-हरणु सो पत्तु जोव्वणु ॥ कीलंतर वहियाए । [२०३१] अग्ग - मग्गम्मि fart कुसुम - सत्थरि मणोहरु | वलय तिन्नि पुरओ य वच्चिरु ॥ की लिउ अय- कीलेहिं । नियइ नियय- नयणेहिं ॥ २०२८. ८. क. मुणिहि. २०२९. ३. क. दिंतयंतु, ख. वितयंतु; क. वत्तिण; ९ ख. सिडि. [ २०२८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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