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________________ ७०३ नेमियुतंतु [३१७३] एत्थ-अंतरि मुक्क-नीसासु सयलो वि जायव-निवडु नियइ समुहु तसु जरकुमारह । इयरो वि पहु-वयणु सुणिवि गयउ गुरु-खेय-भारह । निय-चयणु वि सुहि-सज्जणहं दंसेउं पि अ-सक्कु । धरणि-समुह-विणिहित्त-मुहु लज्जिर मोणिण थक्कु ॥ [३१७४] अह पुणो-वि-हु भणिउ जिणवरिण जह - आसि इहेव पुरि नियय-किरिय-आसत्तु तावसु । पारासर-नामु कय- . निंदु-रमणि-संगहिण अवजसु ॥ जउण-दीवि जं तसु गयह जायउं नंदणु तेण । दीवायण इय नामु किउ सुयह जणणि-जणएण ॥ [३१७५] पत्त-अवसरु तेण तावसिय पडिवज्जिय दिक्ख तह गहिउ वंभु अच्चंत-दुद्धरु । भोयव्वु जहनिण वि - छट्ट-तवह इय नियम सुंदरु ॥ अब्भुवगमिउण अणुकमिण वालिस-जण-कय-तोसु । संपइ अछइ सु वाग्वइ- पुरि-उज्जाणि स-दोसु ॥ [३१७६] दाहु कारिहइ वारवइए वि दीवायणु सु ज्जि रिसि मइर-मत्त-जर-कुमर-दोसिण । तयणंतरु खुहिय-मण- पसरु कण्हु परिहरिउ हरिसिण ॥ वंदिवि नेमि-जिणाहिवइ वारवइहिं गंतूण । सयमवि वलभद्दिण सहिउ तुरय-रयणि चड़िऊण ॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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