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________________ ७०० नेमिनाहचरिउ [ ३१६१ [३१६१] ज ज निरिक्खसि नारि तुडं मुद्ध जइ रज्जसि तहिं तहिं जि ता लवं पि तुहुं हवसि अच्छिरु । सोइज्जसि सज्जणिहिं गय-सरन्नु दुग्गइहिं गच्छिरु ॥ पुणरवि दुल्लह एरिसिय धम्म-कम्म-सामग्गि । इय आलोइवि दुच्चरिय जिण-देसिय-पहि लग्गि ॥ [३१६२] एम्ब वहुविह राइमइ-समणिवयणंकुस-ताडियउ तह कहं-चि रहनेमि-कुंजरु । जह पच्छायाव-दव- तविय-अंगु सम्मग्ग-सुंदरु ॥ आलोइवि दुच्चरिय पडिवज्जिवि पायच्छित्तु । आराहिवि जिणवर-किरिय निय-मणु करिवि पवित्त ॥ [३१६३] कमिण अइगय-वरिस-परियाउ उप्पाडइ नाण-धणु एम्ब-कारि पुणु गारिहत्थिण । चउ-वरिस-सयाई अह वरिसु एगु छउमत्थ-भाविण ॥ पंच जि वरिस-सयाई पुणु केवलि-परियारण । विहरिवि सिरि-रहनेमि-मुणि सिद्धउ कम्म-खएण ॥ [३१६४] सु वि महा-यसु गहिय-चारित्तु सम-सत्तु-मित्तत्तणिण केसवस्सु वंधवु कणिट्ठउ । उस्सग्गिण संठियउ सोमसम्म-भणिण दिहउ ॥ ता कोवारुण-लोयणिण तिण पाविण संलत्तु । अरि कत्तो सि हयास तुहुँ गयसुकुमाल पहुत्तु ॥ ३१६३.१. क. परियाओ. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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