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________________ नेमिनाहचरिउ [३११२ [३११२] धम्म-कहा-अवसाणे निय-ठाण-ठियम्मि सावय-जणम्मि । पत्तावसरं मुणिणो पुरीए पविसति भिक्खाए ॥ [३११३] ते-वि हु सुलसा-नागा-नंदणा जुयलगेहिं तिहिं मुणिणो । देवइ-गिहम्मि कमसो भिक्खायरियाए संपत्ता ॥ [३११५] ता पण्हुइय-थणीए देवइ-देवीए वियसिय-मुहीए । पडिलाहिया स-तोस सव्वे-वि हु ते महा-मुणिणो ॥ [३११५] चरम-पोरिसि-समइ पुणु सामिपायारविंदहं पुरउ गंतु भणइ देवइ – निवेयह । किं वारवइहि पुरिहिं लहहि भिक्ख न मुणि त्ति ज मह ॥ मंदिरि एक्कु जि मुणि-जुयलु तिण्णि वार संपत्तु । तयणु भणइ जिणु दसण-पह- पूरिय-सयल-दियंतु ॥ [३११६] तुह चेव सुया भदे छप्पेएन्नोन-सरिसया दूरं । नणु कह-कह-त्ति तीए भणियम्मि पयंपए सामी॥ [३११७] भदिलपुरम्म नयरे वणिणो नागस्स मुलस-दइयाए । निंदुए मय-सुया वेसमणेणं तुह पुरो मुक्का ॥ [३११८] तुह तणया उण चरम-सरीरा सिरि-वच्छ-लंछिओरयला । कंस-भएण विमुक्का नेउं सविहम्मि सुलसाए ॥ [३११९] ता जाय-भव-विराया भद्दे मह संनिहिम्मि पव्वइया । सोऊणमिणं वाहुल्ल-लोयणा देवई भणइ ॥ ३११४. १. क. देम्वइ. ३११५. ४. क. लहिहिं ८. क. पहु. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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