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________________ ६७८ [३०३४ नेमिनाहचरिउ [३०३४] कप्प-पायव-लय व परिछिन्न वल्ली इव उक्खणिय खलिय-सील वर-तवसिणी इव । अच्चंत-विवन्न-तणु- छाय गलिय-वय कामिणी इव ॥ अइ-दुक्खिय-सहियण-विहिय-भीसण-गुरु-पुक्कार । गेह-गवक्खह राइमइ निवडिय नीसाहार ॥ अह कहं-चि वि भियग-वग्गेण तह विलविर-सहियणिण तेहिं तेहिं सिसिरोवयारिहिं । अवहेडिय-मुच्छ-दुह पीणियंग विविह-प्पयारिहिं ॥ उग्गसेण-नरवइ-दुहिय संपाविय-चेयन्न । कह-कहमवि चेट्टइ पुरउ जणहं सु-दुह-संछन्न ॥ [३०३६] पडइ उहइ सुयइ नच्चेइ अक्कंदइ विहसइ य हणइ उयरु सिरि केस तोडइ । संचुन्नइ आहरण करयले हिं वलयाई मोडइ ॥ डसणिहिं डसइ स-उह-उडु वयणिण मेल्लइ धाह । अक्कोसइ पइ पइ सहिय अ-प्पयडिय-अवराह ॥ अवि य [३०३७] अरिरि सहियण सरिस सुह-दुक्खहं ताय दुह-उद्धरण अहह भाय निय-भइणि-बच्छल । धिसि सज्जण हा जणणि मज्झ होह दुह-हरण-पच्चल ॥ विन्नाणिण दाणिण विणय- वयणिण सम्माणेवि । अज्जउत्तु करयलि धरिवि वालिवि इह आणेवि ॥ ३०३५. ८. क. पुरओ. ३०३७. २. First few letters are illegible in क. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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