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________________ ३००७ राईम - परिगयह आरंभ परिणयण उसे निवइ वि कह - वि arcas a वीवाह - विrि नेमिवुत्तंतु [३००४] अह पयासिवि उग्गसेणस्सु समुदविजय - निवु लग्ग- वासरु । विहि सुस्सु संपत्त-अवसरु ॥ हरिसिण माइ न ठाइ । राईम - कन्नाइ ॥ [३००५] तयणु कइयहं दइउ पेक्खे सु fores मज्झ करु मणि धरिes कइ मई अव सु तारि नर - रयणु इय चिंतिर राइमइ ठिय Jain Education International 2010_05 कइ कय ह नाहु माणि । हउं विकइय तसु हिय वासि ॥ कह कह हउं निब्भग्ग । चिंता - जलहि-निमग्ग ॥ [३००६] अह सहीयण - वयणमासज्ज उवलडु जणणी-जणय पमुह-सयण उवएसु तरसिय । ससि वयणिय कुणइ लहु ताउ ताउ किरियाउ हरिसिय ॥ नेमि कुमर - दंसण-अमय वरिसुक्कंठिय वाल | वहु- विच्छित्तिर्हि राइमइ कारावर वर-माल || [३००७] तयणु विरइय- चारु- सिंगार उग्गसेण नरनाह - कन्नय । कारावि पुंखणय साहाविय-नियय-तणु- कंति - विजिय-सोवन्न-वन्नय ॥ अच्छ पेच्छिर आयरिण नेमि - कुमारह वट्ट | तरुणि-दिन्न - मंगल- सुहल पढिर- फुडक्खर भट्ट ॥ ३००५. ३. क; कइयह, ख. कइयहउं नाहु. ३००६. ५. क. ताओ ते किरियाओ. ८. क. राइमई. For Private & Personal Use Only ६७१ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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