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________________ नेमिवृत्तंतु [२९९६] एहु कायर-वाल-पव्वइयसमणेहिं भणिउ जह- वालओ वि चइयव्व महिलिय । जइ महिलहं विणु हवइ किं-पि केण ता जणिय धरणिय ॥ चक्कि-जिणाउ लइय विउस नो उत्तसहिं तियाहं । नहि देउल-पारेवडा वीहहिं तालुट्टाहं ॥ [२९९७] तयणु रुप्पिणि-सच्चहामाइहरि-दइयहिं सयलिहिं वि सम-विहिय-करताल-हसिरिहिं । संलत्तु - देयर किह णु अम्ह वयणु सहलसि न हरिसिहि ॥ समुदविजय-नरनाहिण वि सिवदेविहिं सहिएण । कण्हेण वि पत्थुय-विहिहिं भणिउ सु स-कुडुंवेण ॥ अवि य - [२९९८] तणय सामिय वंधु मुहि सुहय पडिवज्जम परिणयणु किण-वि समगु वर-तरुणि-रयणिण । इय जणणी-जणय-भड- वंधु-मित्त-तरुणियण-चयणिण ॥ नेमि-कुमरु वर-नाण-धणु मणिण अनिच्छंतो वि । पडिवज्जइ परिणयण-विहि सिव-बहु-अणुरत्तो वि ॥ [२९९९] तयणु तुट्ठउ कण्हु सिवदेवि नो माइ सरीरगि वि हरिस-पुलय-अंकुरिय जायव । कह कह न सहति महि- वलइ फलिय नं कप्प-पायव ॥ रुप्पिणि-जंवुवई-पमुह हरि-अंतेउरियाउ । धावहिं वग्गहिं विलसहि य हरिस-भरिय-हिययाउ ॥ २९९७. ३. विगहिय. २९९९. ५. क. चलइ. ७. क. अंतेउरिआओ. ९. क. हिययाओ. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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