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________________ ६६४ [ २९७६ नेमिनाहचरिउ [२९७६] नलिणि-कामिणि सिसिर-काउरिसविच्छाइय-तणु-लय वि पत्त-लच्छि किय महु-नरिदिण । कणियार-महहुम वि विहिय-सोह कय कुसुम-रिद्धिण ॥ कुरुवय-तरुवर घण-थणिउ तरुणित आलिंगंति । कामिणि-गंडूसइहिं पुणु केसर कुसुमिजंति ॥ [२९७७] विरह-पायव पंचमुग्गारु निसुणेविण कुसुम-भरु लिंति वउल विसएहिं पंचहि । इय विसयासत्त जहिं तरु वि तत्थ किं कहउं अन्नहि ॥ इय एरिसइ वसंत-महि पसरिय तरु-नियरम्मि । हरिसु जणंतइ भुवणह वि जायव-नर-नियरम्मि । [२९७८] रइय-असरिस-अंग-सिंगार निय-चारु-परियण-सहिय विहिय-सयल-मुहि-सयण-मण-सुह । हरि-नेमिकुमार परिचलिय नयर-उज्जाण-सम्मुह ॥ तयणंतर सिंधुर-तुरय- संदण-रयण-निलीण । संचल्लिय जायव-कुमर पेमवई-साहीण ॥ [२९७९] कमिण झल्लरि-भेरि-सारंगिकंसाल-तालय-तिरिरि- करडि-ढक्क-तंवक्क-वुकहि । पडु-पडह-सुसंख-वर- वंस-वेणु-काहल-हुडुक्कहिं ॥ वज्जतिहिं तूरिहिं वहुहिं वहिरिय-मज्झ-दसास । गायंतिहिं गंधव्विइहिं पूरिय-तरुण-जणास ॥ २९७६. ६. क. तरुवय तरुवर. २९७७. ६. वसंतमहिं. २९७९. ६. बजरिहिं. ९. क. जणासु. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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