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________________ २९५९ ] नेमिवृत्तंतु [२९५३] भवणुज्जाण समेया गोउर- पायार- तोरणोवेया । सयहा पुरी न फुट्टा सा देव - विणिम्मिया जेण ॥ [ २९५४ ] तह वि महाभवणंतर - विर्यभिणा तेण संख - सण | महु-मत्त कामिणी इव सा चलिया सव्व-ठाणेसु ॥ [ २९५५] उद्दामा वर तुरया भमंति तुट्टंत-संकला करिणो । भीओ जायव-वग्गो मुच्छा-वियलो जणो जाओ ।। [२९५६ ] भीओ हरी वि सहसा विगय-मओ लंगली वि संजाओ । संतस्थासेस-भडा गोविंदमुत्राया सरणं ॥ [२९५७] किं अयंडि वि फुट्ट भंड परिखुहिउ रयण - निहि अह कयंतु कुद्ध भयंकरु | जं दीसइ सयल जगु कंपमाण-तणु खोह - दुद्धरु ॥ अहवा किं कु-वि चक्कवर वारवइहिं उप्पन्नु । जं सुम्मइ इहु संख-खु तइ - लोयह अ-सवन्नु ॥ [२९५८] इय विर्चितिरु गरुय-भय- विहुरु जा चिह्न कण्हु खगु तसु आउह- सालयह आगंतूण हरिहि पुरउ नेम - कुमारिण संखु इहु Jain Education International 2010_05 ताव विणय-पणमंत अंगिण | पालगेण माणविग एगिग ॥ कहिउ जहा - कीलाए । आऊरिउ लीलाए || [२९५९] तयणु - अरि अरि रूव- रिद्धीए सोहरिगण लक्खणिहिं वणि भुवणु सयलु वि विसेस | मज्झ रज्जु सयलु विगसइ ॥ आउह - सालहं गंतु । अ-समु चोज्जु जयस्सु कुणंतु ॥ सिरि-नेमिकुमारु इय इय चिंतंत महुमहणु dras जय - सामि २९५७. १. क. फुडु. For Private & Personal Use Only ६५९ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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