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________________ मिनाहचरि [१९७६] तयणु वणिण तिण सुभदेण मा एहु अणत्थु कु-वि वसुदेवह वियरियड जह अच्चंत - उदार-तणु नूण न इहु सामन्नु कु-वि वसुदेविण संगहिउ वाहतर कल कमिण सुहिं रमंति सह राहु-ग्गह-ससहर व दु-वि [१९७७] मित्त भाविण पढम- दंसणिण वि Jain Education International 2010_05 आणवेज्ज अम्हं ति चितिवि । कंस - कुमरु तेणावि मंतिवि ॥ रूववंतु सागारु । दीसह वणिय- कुमारु* ॥ अह दुवे व समकालु सिक्खहिं । सुयण - पिसुण-सम्भावु लक्खहिं || सह पूयहिं गुरु-देव | अछहिं कंस- वसुदेव ॥ अवर - अवसरि ति-क्खंड -वसुहाहिविण निय दूयउ पेसियउ तेण वि भणियउं जह विजयपुर - आसन्न -पएसि । सिरि-सीहउरि असेस पुर - पवरइ नयर - विसेसि ॥ पडिवक्खिउ सीहरहइय को विजु निवइ तसु वंधेऊण य निय-करिहिं सो मह कन्नय जीवजस * क. ख. ग्रंथानं ५०००, [१९७८ ] विहि-निओएण नरवरेण जरसंघ - नामिण । समुद विजय - नरवइहि वेगिण || [१९७९] नियय-य-वल- दलिय-दुदंत नाम- पयडु चिट्ठे नरवरु | निय-वलेण निहणिवि मडप्फरु | मह सविहहिं आइ । तह इच्छिउ पुरु लेइ ॥ For Private & Personal Use Only [ १९७६ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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