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________________ [२९४१ नेमिनाहचरिउ [२९४१] कण्ह न हुयउं एहु न हवेइ न य हविहइ कहमवि हु जं मिलंति जिणवर जिणिंदहं । चक्काहिव चक्कियहं सवा वि भरहद्ध-चंदहं ।। अह स-विसेसुक्कंठ-मणु कविल-कण्हु उठेवि । मण-पवण-व्वेगिण लवण- जलहि-तीरि गच्छेवि ॥ [२९४२] दछु कण्हह छत्त-झय-चिंधरह-रयणइं गच्छिरई कविल-विण्हु निय-संखु पूरइ । इयरो वि-हु तस्सवण- तुटु गमिरु सायरि सु-पूरइ ॥ इय अन्नोन्निण दटु हरि- चिंधई दु-वि ति विसिट्ठ । निय-निय-ठाणह सम्मुहय संचल्लिय संतुट्ठ ॥ [२९४३] पउमनाहु वि विहिय-गुरु-पावु निद्धाडिउ निय-महिहि कविल-हरिण अच्चंत-रुट्ठिण । अभिवंदिय जिणह पय- पउम जाय-पच्चइण तुहिण ॥ हरि पुणु लवणोयहि तरिवि मागह-तिथि पहुत्तु । अह पंडव गय अग्गयरि सुर-सरि-सलिलु तरित्तु ॥ [२९४४] किंतु भीमिण केलि-नडिएण नीसेस वि पवहणई अवर-तिथि मुक्काइं नेउण । ता कहिण पुट्ट - किह तुब्भि पत्त इह सरिय तरिउण ॥ अह भीमिण संलत्तु - नइ तरियम्हिहिं वाहाहिं । ता करि करिउण रह-तुरय हरि वि तरइ जंघाहिं ॥ २९४१. १. कण्हु; ३. क. मिलंति जिण वरिंदहं. २९४५. २. क. पवहणइ. ४. क. पुह. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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