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________________ ૪૮ नेमिनाहचरिउ [२९०२] तयणु तम्मि वि ठाणि हरिसेण सयलेहिं वि जाय विहि आनंदिण. नच्चियउं सिरि-आणंदपुरुत्ति वर तं जि महा-तित्थु ति इहु घोसिज्ज आ-चंदु ॥ पुरउ जिणह सिरि- नेमिनाee | अह जणेण तसु वसुह-भागह ॥ ना दिन्नु साणंदु । [२९०३] तेसि पुणु जरसंघ - पमुहाहं सव्वेस व रिउ - निवहं कारावइ जीवजस हरि पुणु धरहं ति - खंडहं वि सोलस-नरवइ- सहस- जुउ [२९०४] तेण उ निय-वल- महिमा - उवहसियासेस- सुहड - महिमेण । उच्चत्त-पित्तेहिं जा पिहू पिहू जोयण- पमाणा ॥ मयहं अंत-कायव्वु सयलुवि । तयणु खिवइ चिय चक्कि अप्पुवि ॥ रिउ कुल परिसातु । कोडि - सिलहं संपत्तु ॥ [२९०५] घण-मसिण-विसाल - सिला - कलिया भरहद्ध - देवय- गणेण । जत्थ परिक्खति वलं भरहद्धे साहिए हरिणो ॥ Jain Education International 2010_05 [२९०६ ] वाम भुयग्गे पढमेण धारिया सा सिरम्मि वीरण । तइएण कंठ-देसे नीय चउत्थेण वच्छयले | [२९०७] पंचमगेण उ नाही- सविहे छट्ठेण कडिय - पसे । सत्तमगो उण ऊरू जाणू जो नेइ अट्टमगो ॥ [२९०८] सउरि-तणरण हरिणा चत्तारिउ अंगुलाई उक्खित्ता । ओसप्पिणीए पायं वलाई झिज्जंति जं कमसो ॥ [२९०९] ता गयणयले सुर- गण - विज्जाहर - सिद्ध-जक्ख-निवहेहिं । उग्घुट्टो जय-सदो मुक्काओ कुसुम-बुट्टीओ ॥ २९०४. १. क. ओवहसिय. [ २९०२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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