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________________ ६४६ [२८९४] इय जहा कि कण्हु कय- किच्चु तई स-जयावहिण नाह व अम्हे व पसिउण । हत्थु अम्ह पट्टी दाउण ॥ जीवावहि मुर-रिउहु नेमकुमारु वि ते सयल नरवर संभूसेवि । रण-धरणीयल- समुचियउ आडंवरु उज्झेवि ॥ नेमिनाहचरिउ ता कण्डु सरह - रयणु आलिंगइ नेमि अह तह मगहाहिव - अंगरु उज्झण सम्मुहु पहाविवि । हत्थु सि दिवाविवि ॥ सहदेव त्ति पसिद्ध । रज्जि ठवाविउ रायगिहि नयरि सु-गुणिहिं समिद्धु ॥ इओ य - [२८९५] तेहिं सहिउ वि चलिउ हरि-समुहु सो मायलि सारहिउ तं गहिउण रह-रयणु साहेइ य नेमिहि पहुहु तह जह सयलह सुर-गणह Jain Education International 2010_05 [ २८९६ ] एत्थ - अंतरि नेमि - कुमरेण कय-पणामु अणुनविउ संतउ । तियसनाह - सविहम्मि पत्तउ II पुव्वत्तई चरियाई | वियसियाई वयणाई ॥ [२८९७] निरु पट्टिय-वण-चिगिच्छाहं संजाय - निरुयहं भडहं अत्थाणुवविद सिरि-वच्छ अंकु खयरिंद-रमणिहिं ॥ आणंदण विन्नत्तु जह वद्धाविज्जसि देव || जं सउरिण साहिय खयर तुज्झ पवज्जहिं सेव ॥ सयलहं पि जायवहं सविहिहिं । For Private & Personal Use Only [ २८९४ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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